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मोक्षशास्त्र प्रश्न-सांव्यवहारिक मतिज्ञानका निमित्त कारण इन्द्रियादिको कहा है, उसीप्रकार (ज्ञेय ) पदार्थ और प्रकाशको भी निमित्त कारण क्यों नहीं कहा?
प्रश्नकारका तर्क यह है कि अर्थ ( वस्तु ) से भी ज्ञान उत्पन्न होता है-और प्रकाशसे भी ज्ञान उत्पन्न होता है यदि उसे निमित्त न माना जाय तो सभी निमित्त कारण नहीं आ सकते इसलिये सूत्र अपूर्ण रह जाता है। समाधान-आचार्यदेव कहते है कि"नार्थालोकोकारणं परिच्छेद्यत्वात्तमोवत्"
(द्वितीय समुद्देश ) अर्थ-अर्थ ( वस्तु ) और आलोक दोनों सांव्यवहारिक प्रत्यक्षके कारण नहीं है, किन्तु वे केवल परिच्छेद्य ( ज्ञेय ) है। जैसे अंधकार ज्ञेय है वैसे ही वे भी ज्ञेय है।
__ इसी न्यायको बतलानेके लिये तत्पश्चात् सातवाँ सूत्र दिया है जिसमें कहा गया है कि ऐसा कोई नियम नही है कि जब अर्थ और आलोक हो तब ज्ञान उत्पन्न होता ही है और जब वे न हों तब ज्ञान उत्पन्न नही होता । इनके लिये निम्नलिखित दृष्टान्त दिये गये है
(१) एक मनुष्यके सिर पर मच्छरोंका समूह उड़ रहा था किन्तु दूसरेने उसे बालोंका गुच्छा समझा; इसप्रकार यहां अर्थ ( वस्तु ) ज्ञानका कारण नही हुआ।
(२) अंधकारमें बिल्ली इत्यादि रात्रिचर प्राणी वस्तुओंको देख सकते है, इसलिये ज्ञानके होनेमे प्रकाश कारण नहीं हुआ।
उपरोक्त दृष्टान्त (१) में मच्छरोका समूह था फिर भी ज्ञान तो वालोंके गुच्छेका हुआ, यदि अर्थ ज्ञानका कारण होता तो बालोके गुच्छेका ज्ञान क्यों हुआ; और मच्छरोके समूहका ज्ञान क्यो नही हुआ ? और दृष्टान्त (२) मे बिल्ली आदिको अधकारमें ज्ञान हो गया; यदि प्रकाश ज्ञानका कारण होता तो बिल्लीको अंधकारमें ज्ञान कैसे हुआ ?