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मगलमन्त्र णमोकार एक अनुचिन्तन
मन्त्रका आशातीत फल देखकर आश्चर्यान्वित था । यो तो जीवन देहलीपर कदम रखते ही णमोकार मन्त्र कण्ठ कर लिया था, पर यह पहला दिन था, जिस दिन इस महामन्त्रका चमत्कार प्रत्यक्ष गोचर हुआ । अत इस सत्यसे कोई भी आस्तिक व्यक्ति इनकार नही कर सकता है कि णमोकार मन्त्रमे अपूर्व प्रभाव है । इसी कारण कवि दौलतने कहा है :
भाई ।
धराई ॥
" प्रातःकाल मन्त्र जपो णमोकार अक्षर पैंतीस शुद्ध हृदय में नर भव तेरो सुफल होत पातक दर जाई । विघन जासों दूर होत सकटमें महाई ॥१॥ कल्पवृक्ष कामधेनु चिन्तामणि जाई | ऋद्धि सिद्धि पारस मन्त्र जन्त्र तन्त्र सब सम्पति भण्डार मरे अक्षय निधि आई || ३ || तीन लोक माहिं, सार वेदनमें गाई । जगमें प्रसिद्ध धन्य मगलीक भाई ||४॥"
तेथे प्रकटाई ||२|| जाहीले वनाई |
मन्त्र शब्द 'मन्' धातु ( दिवादि ज्ञाने) सेप्ट्रन् (त्र) प्रत्यय लगाकर बनाया जाता है, इसका व्युत्पत्ति के अनुसार अर्थ होता है, 'मन्यते ज्ञायते आत्मादेशोऽनेन इति मन्त्रः' अर्थात् जिसके द्वारा आत्माका आदेशनिजानुभव जाना जाये, वह मन्त्र है । दूसरी तरह से तनादिगणीय मन् धातुसे ( तनादि अवबोधे to Consider ) ष्ट्रन प्रत्यय लगाकर मन्त्र शब्द बनता है, इसकी व्युत्पत्तिके अनुसार- मन्यते विचार्यते आत्मादेशो येन स मन्त्रः' अर्थात् जिसके द्वारा आत्मादेशपर विचार किया जाये, वह मन्त्र है । तीसरे प्रकारसे सम्मानार्थक मन घातुमे 'ष्ट्रन' प्रत्यय करनेपर मन्त्र शब्द बनता है । इसका व्युत्पत्ति- अर्थ है- 'मन्यन्ते सक्रियन्ते परमपदे स्थिताः आत्मानः वा यक्षादिशासन देवता भनेन इति मन्त्रः' अर्थात् जिसके