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मंगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन २४१ शब्द नय . १२० शौच
२७ लिंग, संख्या, साधन आदिके अन्तरंग और बहिरगमै पवित्र व्यभिचारको दूर करनेवाले ज्ञान वृत्तिका उत्पन्न होना गोद धर्म है। और वचनको शब्द नय कहते हैं। श्मशान-पीठ शान्तिक
८८ श्मशान भूमिमे जाकर किसी शान्ति उत्पन्न करनेवाले मन्त्र मन्त्रका अनुष्ठान करना श्मशान शान्तिक कहलाते हैं।
पीठ है। शुक्ल-ध्यान
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श्यामा-पीठ लेश्याकी उज्ज्वलता हो जाने
जितेन्द्रिय वनकर नग्न तरुणीपर कर्मध्यानका उल्लंघन कर के समक्ष निर्विकार भावसे मन्त्रकी शुक्ल ध्यानका आरम्भ होता है।
होता है। साधना करना श्यामा-पीठ है। इसके चार भेद हैं।
श्रद्धा
८५ शुद्धोपयोग
गुणोके प्रति रागात्मक आसक्ति स्वानुभूत रूप विशुद्ध परिणतिको प्राप्ति शुद्धोपयोग है। इसीका
श्रद्धा कहलाती है।
श्रुतिज्ञान दूसरा नाम वीतराग विज्ञान है।
- पंच इन्द्रिय बौर मनके द्वारा शुन्द्वोपयोगी शुद्धोपयोगके धारी वीतराग
परके उपदेशसे उत्पन्न होनेवाला विज्ञानी शुद्धोपयोगी हैं। ज्ञान श्रुतज्ञान है। शुभोपयोग
श्रेयोमार्ग पुण्यानुरागरूप शुभोपयोग सम्यग्दर्शन, सम्यक् ज्ञान और होता है। इसमे प्रशस्त रागका सम्यक् चारित्र रूप मोक्षका मार्ग रहना आवश्यक है।
ही श्रेयोमार्ग है। शोधन . किसी प्रवृत्तिका शुद्ध या जो वस्तु जैसी देखी या सुनी शोधन करना शोधन कहलाता है। है उसका उसी रूपमे कथन करना
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१
सत्य
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