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मंगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन
कल्याणके साथ सभी प्रकारके अरिष्टोको दूर करता है, और सभी सिद्धियोको प्रदान करता है । यह कल्पवृक्ष है, जो जिस प्रकारकी भावना रखकर इसकी साधना करता है, उसे उसी प्रकारका फल प्राप्त हो जाता है | पर श्रद्धा और विश्वासका रहना परम आवश्यक है ।
'मगलमन्त्र णमोकार एक अनुचिन्तन' का द्वितीय संस्करण पाठकोंके हाथमें समर्पित करते हुए हमे परम प्रसन्नता हो रही है। इस संशोधित और परिवर्द्धित सस्करणमे पूर्व संस्करणकी अपेक्षा कई नवीनताएँ दृष्टिगोचर होगी । इस संस्करणमे तीन परिशिष्ट भी दिये जा रहे हैं । प्रथम परिशिष्टमे वीस करणसूत्र दिये गये हैं । इस णमोकार मन्त्रके अक्षर, स्वर, व्यंजन, मात्रा, सामान्य पद और विशेष पदकी सख्या-द्वारा गणित क्रिया करने से सभी पारिभाषिक जैन संख्याएँ निकल आती हैं। हमारा तो यह विश्वास है कि ग्यारह अंग मौर चौदह पूर्वकी पदसख्या तथा अक्षर संख्याका आनयन भी इस णमोकार मन्त्रके गणित के आधार - पर किया जा सकता है ।
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द्वितीय परिशिष्टमें पारिभाषिक शब्दकोष दिया गया है । इसमे धार्मिक शब्दोंके अतिरिक्त मनोवैज्ञानिक शब्दोकी परिभाषाएँ अकित की गयी हैं । तृतीय परिशिष्टमे पंचपरमेष्ठी नमस्कार स्तोत्र दिया गया है । इस स्तोत्रमे पचपरमेष्ठी चक्र भी आया है । इस स्तोत्रके नित्य • प्रति पाठ करनेसे सभी प्रकारकी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है तथा सभी प्रकारकी बाधाएँ दूर होकर शान्तिलाभ होता है । इस स्तोत्रका अचिन्त्म प्रभाव बतलाया गया है । अत पाठकोंके लाभार्थं इसे भी दिया गया है । में ज्ञानपीठके अधिकारियोका आभारी हूँ जिन्होंने संशोधन और परिवर्द्धन करने की स्वीकृति प्रदान की ।
ह० दा० जैन कालेज, भारा १ जून, १९६०
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- नेमिचन्द्र शास्त्री