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________________ १० प्रश्न और उत्तर एक बार भगवान महावीर के अन्तेवासी आर्य सुधर्मा नामक स्थविर ग्रामानुग्राम विचरण करते हुए राजगृह नगर मे पधारे। उनके साथ पाँच मी अनगार थे । आर्य सुधर्मा स्वामी उच्च जाति से सम्पन्न, उच्च कुल से सम्पन्न, चौदह पूर्वी के बना तथा चार ज्ञानों से युक्त थे । वे राजगृह नगर मे आकर गुणशील चैत्य मे विराज कर संयम और तप द्वारा आत्मा को भावित करते हुए विचरने लगे । सुधर्मा स्वामी की वन्दना करने परिषद् निकली । धर्म का उपदेश श्रवण करने के बाद परिषद् लोट गई । परिषद के लौट जाने पर सुधर्मा स्वामी के अन्तेवासी जनगार जम्न स्वामी ने एक प्रश्न किया। उस प्रश्न के उत्तर मे सुधर्मा स्वामी ने एक क्या कही "उस काल और उस समय मे एक नगर था, राजगृह । वहाँ गुणशील नामक एक नैत्य था । राजा श्रेणिक उस समय वहां शासन करता था। वह धार्मिक वृत्ति वाला था और पवित्र जीवन व्यतीत करता था। चेतना नाम की उसकी रानी थी। उस समय वहाँ पर एक बार भगवान महावीर पधारे। उनकी वन्दना पर निकली। भगवान ने धर्म का उपदेश दिया। ४=
SR No.010420
Book TitleMahavira Yuga ki Pratinidhi Kathaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1975
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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