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________________ m अडिग व्रती प्राचीन काल मे अम्बड नामक एक तपस्वी था । वह विद्वान था। भगवान महावीर की साधना से वह बहुत प्रभावित था। उनके प्रति गहरी निष्ठा उसके हृदय मे थी । सन्यासी के वेष मे रहता था, किन्तु उसने भगवान महावीर से बारह व्रत अगीकार किए थे। उसके सात सौ शिप्य थे। वह स्वयं भी ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कठोरता से करता था और अपने शिष्यो से भी उसी प्रकार उसका पालन कराता था। उसने एक बार राजगृही जाने का निश्चय किया और भगवान मे पूछा ___'मैं राजगृही की ओर जा रहा हूँ। कोई सेवा-सन्देश हो तो कृपा कर कहिए।" ___ भगवान को क्या कार्य हो सकता था ? उन्होने राजगृही मे निवास करने वाले नाग गाथापति की पत्नी सुलसा को धर्म-सन्देश कहलाया। अम्बड ने सोचा कि यह सुलसा अवश्य ही धर्म मे दृढ होनी चाहिए, तभी तो स्वयं भगवान ने उसे स्मरण रखा हे और धर्म-सन्देश कहलाया है। किन्तु मैं तनिक परीक्षा करके देखूगा कि ऐसी वह कितनी दृढ हे धर्म मे ? परीक्षा की दृष्टि से अम्बड सुलसा के पास जब गया तो उसने अनेक न्प बनाए । यहाँ तक कि स्वयं भगवान का रूप भी बनाया । किन्तु मुलमा ने उमे नमस्कार नहीं किया। उसकी यह दृढ़ता और अपने धर्म में अचन श्रद्धा देखकर अम्बट बहुत प्रसन्न हुआ। ११२
SR No.010420
Book TitleMahavira Yuga ki Pratinidhi Kathaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1975
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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