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श्री देवेन्द्रमुनि : ए
जैन तत्त्वविद्या के जाने-माने लेख का जन्म आज से ४२ वर्ष पूर्व वि० स था।
नो वर्ष की आयु मे गुरुवर्य श्री ! मे भागवती दीक्षा ग्रहण की । सस्कृतआगमो के गहन अध्ययन-अनुशीलन मे
आपकी प्रज्ञा विवेचना-प्रधान 41 मूलक है। किसी भी विषय पर लिखते । पहुचकर प्रमाण और तर्क के साय उसे प्री ' चार तीर्थकरो पर आपने चार विर शीलनात्मक ग्रन्थ लिखे है । कल्पसूत्र में व्याख्या प्रस्तुत की है । लघु-कथा, निवन्ध । व विचार-सुभापित पर भी लगभग २५-६ है। अब तक ४ दर्जन से अधिक पुस्तके प्र ___सरल एवं विनम्रचेता, सदा प्रसन्न स्वभाव के निर्मल आकर्पक व्यक्तित्व के धा। जन साहित्य के अनगी लेखको मे सर्वाधिव गोrier Arr. -~- . m 2