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चर्चा के जीवथिति। सवैया३१॥ मूदिभू मिनारे रखर भूवाईसजल सातवात तीन तह काय की दस हजार पंधि की वहत रिसहस वियाली ससांप च्या दिगिनतीनं दो इंड्रीवर सवार है । ते इंद्री दिन उन सास पौइंडी छ मास सिरीसर्वपूर्वमानव अवधिभर है। मत कोरियर व मनुष्य पस् तीन पल्पसाग रतेतीसदेवनख की सार है। १००। अठाईस नक्षत्रत तारो की गिरती ॥ सवैबा ३२॥ षटपां तीन एक घटतीनघरचारि दो दो पांच एकएकचै। षटती नहै। नव चो चौ तीन तीन या चएक सौ ग्यारह दोय होय बत्तीस पांच तीनतारेल है। ऋतिका दिपठाईस के सब दो सैइकतालीस एक एक के ग्यारह से पार हसर द है। दोयलावसठ सठि सातात सक्यावन सबमे चेत्पाले प्रतिविं ववानीमें कहै । १०१। सप्तभंगवानी के नाम सरूप ॥ सवैया ३२॥ द्रव्य क्षेत्र कालभाव अपने चतु
अस्ति परम चतुष्टय से नास्तदर व है। आपस है पर से न एकसमें अस्तिना सत ज्यौ केत्यों कहेन जॉय अवतव्य है। स्लिक है ना स्त को अभाव अस्ति अवतव्य नासक है अस्तिनाहि नासक-पव तव है। एक ठेकन जांय अस्तिनांमवतव्य स्याद्वाद सातभंग सधै सव है । १० केवलम्पान की अनंतभाषातरूपः सवैया ३२|| जीव है अनंत एक जीवके अनंत गुनएक