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चर्चा:सः वयान है। पेटच उंचेएक, एक्लायपोजन के नीचे मुखताकै दस हजार मान है। पंता १२ दिसाहना र उँचे है हजार नाँचे और मु खसावे धन्यज्ञेनापान है। १५ बेसठिइंद्रकविमानत काव्योरा। सवैयाइ पैतालो सलाम को ह इंद्रकऋजु विमान सर्वार्थ सिद्ध अंतर एक लाख कहा| चवालीस घटनेत दिवा सदिदार उचे उचे एक एक के ता घाटतील हा सत्तरिह र नौसे सतरि सठियोजन हतेईस अधिकुभाइ कती सका है।। तिस रिइंदुकनाम तेस वही जिनधामवेदोमनवच काय तिनकी सोभामह ॥ १६॥ याठ पुत्र तिउपर केगु शास्थान "नौच उदपावै छवीस प्रकतिजहांवधता ही उदेश्रविवाकी नीच रास्थाननधिकै चउदै ताका न्यारा ॥ सवैया ३२॥ देवगतिद्यावद्यानपुरखीपक तितीनैवेक्रिय का हारक ] चारहै॥ प्रजप्त ए आठो उंचे वर्धनी चे उदेश्वावे संज्वल लोभ विनां पदह निहा है। हांसर तिभोगा। लानिनर वेदना का अपर्याप्तसाधारधार है।।तथ्वीसबंध उदे साधनीचे बंधउंचे छयासी विचारहै ॥ श्रपरावर्तन कथन।भावपरा तन-पनंतभावभवि कालभावपरावर्तन अनंतभागकाल है। काल परावर्तनानंत