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अट ताल विशेष सताठा ही है। मिथ्या गुनसो छ्यान्त का इसन सत्ताईस पांचौ तिरभंगी सौं गोपमा ही है। २८ छ। वंधएक सैौबीस हुँदै सो वाईस च्खावै। सत्तासौ-प्रदतालपा कहलावे। पुण्यप्रत्र तिच्छवसठि अठत्तरजीवनिया की। वासविदेह विपाकयेतवहु चहुँच हुँ वाच इकईस सर्व घात्ती प्रतिदेसघाति वीस है। वाकी प्रघातइकअधिक सत भिन्न सिसव ईस है|२८|अथपापप्रकति। ९००॥ नाम॥ सवैया३॥ घातसत्तालीस दुखनीचनरक पंचसस्थान संहनन वीरसमानिये। नरक पंसगति आनुपूर वीफरसाठाधिदाय इंद्री रखुरीचालठानियां पथिरपर्यापतिसूक्ष्म और साधारण अपघात यावर प्रसुभयर निये दुरभादुखर और अनाद्यञ्चजसरूप पाय प्रकति सौभेद त्यागधर्मजानिये ॥३०/पुन्यकी । ६८| प्रकतिवशीन || सवैया ३१|| सुरनरपसु या साता उंचमली चाल सुरनर च्यान निर्माण स्वास है । बंधन संघात देह वरिसपंचचस तीन अंग सुभदोयगंधच्याठ फास है। अगुरुलघुप चंडी संस्थान संहनन वाद र प्रत्येक थिर पर्याप्त रास है। -प्रातप उद्यो तपरघातसु स्वरसुभग=प्राहरतीर्थंकर वंदे। श्रंघना है। ३९॥ अथ जनमत प्रधानव