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वीस निधि) = यव चार पर कारनाम की प्रक्रति तिरान्। तथा एक से तीन गोत दोमेदवा नौ कहि अंतराय की पांच सव सौ अटुताली सजा नियै। इस पाठ कर्मच्चडता लसों भिन्नरूप निजमानिये ॥२५॥ सवैया३श, वर्णादिकवीस संस्थान संहनन वारे बंधन संघात देह अंगोपांग गरे है। अगुरुलघुताय पपघात परधान निरमाणपर तेव साधार हा सारे है। थिर उद्योत थिर शुभच्चसुभवासठि युगाल विया की भौ विद्याकींचा रहे। त्रिविया की चारे प्रानपूर वी८त्तरवा की जीव की विपा की धारै अघटार है।२६ केवलदर्शनापानावरता की दाय मिथ्यातसमै मिथ्यात्त निद्रापाचभानिये। तीनचौ कडी की वो रेसर्व घाती इक ईस संज्वलनचाश्नव नोकषायमानी यै॥ ग्यानावरण की चार दर्शनावरणी तीन अंतराय यांचसम्पक मिथ्यातगनिये। रेस घात की छबीस वा की इ कसौधात ती नौ घातकर्मधात आापस जानिये ॥ २१॥ दिकचारि सोलेना हि देहादिपांचदसना हि मिथ्या एक होय बंधना ही है। सो लैट्स दोय विनांचं धतर कवीस मिथ्याउदैती नदो यवेदै उदया ही है। उदै औ उदीर ना हैए कसत वा ईस की ना सौं