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महावीर वर्षमान
अर्थ- मूर्ख लोग अनेक प्रकार के पाखंडी अथवा गृहस्थों के बाह्य लिंग को मोक्ष का मार्ग बताते हैं, परन्तु बाह्य वेश से मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती । अर्हन्त बाह्य लिंग का त्यागकर शरीर में निर्मम होकर दर्शन, ज्ञान और चारित्र का सेवन करते हैं उसी से मोक्ष मिलता है ।
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