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१ महावीर वर्धमान का जन्म
महावीर वर्धमान की जन्मभूमि विदेह देश की राजधानी वैशाली (बसाढ़) नगरी का प्राचीन काल मे बडा महत्त्व था। यह वज्जियो', (लिच्छवियों) की प्रधान नगरी थी; यहाँ गणसत्ताक राज्य था और यहाँ की राज्य-व्यवस्था प्रत्येक गण के चुने हुए नायकों के सुपुर्द थी, जो 'गणराजा' कहे जाते थे। राजा यहाँ नाम-मात्र का होता था और वह राज्य के कार्य सदा गणराजाओ की सम्मतिपूर्वक करता था । वैशाली के रहनेवाले वज्जियो मे बडा भारी सगठन था और वे जो काम करते एक होकर करते थे। यदि कोई लिच्छवि बीमार हो जाता तो सब लिच्छवि उसे देखने जाते थे. एक के घर उत्सव होता तो सब उस में सम्मिलित होते थे, तथा यदि उनके नगर मे कोई साधु-सत आता तो सब मिलकर उसका स्वागत करते थे। एक बार जब मगध के राजा अजातशत्रु (कूणिक) ने वज्जियों पर चढाई करने का इरादा किया तो बुद्ध ने कहा था कि जब तक वज्जी लोग आपस मे मिलकर अपनी बैठके करते है, सब मिलकर किसी बात का निर्णयकर अपना कर्त्तव्य पालन करते है, कोई गैरकानूनी काम नहीं करते, वृद्धो की बात मानते है, स्त्रियो का अनादर नही करते, चैत्यो (देवस्थान) की पूजा करते हैं, तथा अर्हतो-साधु-सतो-का सम्मान करते हैं, तब तक कोई उनका बाल बाँका नही कर सकता। लिच्छवि लोग अपनी सघ
__ 'वज्जी देश में भाजकल के चम्पारन और मुजफ्फरपुर, दरभंगा तथा छपरा जिले के भाग सम्मिलित थे
दीघनिकाय अट्ठकथा २, ५१६. 'दीघनिकाय, महावग्ग, महापरिनिब्बाण सुत्त