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सोलमो बरस केसी-गौतम मिलन
___ महावीर रा शिष्य इन्द्रभूति गौतम साधु मुनिया रै सागे विचरण करता हुया श्रावस्ती पाया पर कोष्ठक उद्यान में बिराजिया। उणीज वगत भगवान पार्श्वनाथ री परम्परा रा केसीकुमार पण आपण मुनि मण्डळ रै सागै तिन्दुक उद्यान में रुक्योड़ा हा । श्रावस्ती नगरी मांय केसीकुमार अर इन्द्रभूति गौतम रा साधु आपस में मिलिया। दोन्यूरै आचार-विचार अर वेशभूषा में फरक हो। फरक देख उणारे मन में संका हुई कै एक लक्ष्य री कांनी बढ़बा पाळी इण धरम परम्परा मे भेद क्यू है ? मुनियां री आ बात जाण इण संकावा नै मिटावरण खातर गौतम अर केसीकुमार दोन्यू आपस में मिलण रो विचार करियो । गौतम केसीकुमार नै साधुपरणां में बड़ा मान'र मुनि मंडळी समेत वारै कनै गया। केसीकुमार गौतम मुनि नै आवता देख उणारो घणो आव-आदर करियो, बैठण खातर पासण दियो । दोन्यू मुनियां रै मिलण रोप्रो घणो बाछो दृस्य हो ।
__ मुनि केसीकुमार गौतम मुनि सूघणा हेत सू मिलिया अर पूछियो-मुनिराज ! पार्श्वनाथ चातुर्याम धरम कह्यो पर महावीर पंच महाव्रत रूप धरम । इणरो काई कारण है ? गौतम मुनि बोलिया-महाराज! धरम रै तत्त्वां रो निर्णय बुद्धि सूदुवै । जी समय लोगां री जिसी मति हुवै बी समै विसोइ धरम रो उपदेस दियो जावै । पैला तीर्थङ्कर रै समय लोग बुद्धि रा सरळ अर जड़ हा । बांनै धरम रो तत्त्व समझावणो मुश्किल हो पर आखरी तीर्थङ्कर रै समै लोग बुद्धि रा वक्र (तार्किक) अर जड़ है। इणा सू धरम रो पाळण करणो मुश्किल हुवै । ई खातर भगवान ऋषभ पर महावीर दोन्यू पंच महाव्रत (अहिमा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य अर अपरिग्रह) रूप धरम बतायो अर बीच रै तीर्थङ्करां रै समय लोग सरल अर बुद्धिमान हुवे। थोड़े में वी सारी बातां समझ'र उणां रो पाळण कर