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सोनैया री सम्पत्ति श्नर गाय रा आठ-आठ गोकुळ हा । महावीर ने नगरी में त्राया जांरंग दोन्यू सपरिवार दरसण खातर गया । प्रभु री घरम देखना सुग चुलनोपिता घर सुगदेव आपणो सम्पत्तिरी निश्चित मर्यादा क'र श्रावक धर्म रा वांरह व्रत ग्रहण करिया । अरजुनमाली रो प्रसंग :
वाराणसी सू आलंभिया नगरी होता हुया महावीर राजगृहो पघारिया । ॐ अरजुन नाम रो एक माळी हो । नगर सूं बार उरणरो एक बहुत बड़ो रूपाळो बाग हो । उगीज बाग में उपरै कुळ देवता मुद्गरपाणि जअ रो पुराणो मिन्दर हो ।
रोज री भांत एक दा परभात अरजुन श्रापणी पत्नी बंधुमती रै सागै फूल तोड़ण खातर बाग में प्रायो । उणरै सागै नगरी रा छह व्दमात पण बाग में घुस आया । वन्धुमती रै रूप नै देख वी उण पर मोहित हुयग्या 1 वां लोगां अरजुन ने रस्सी सूं एक पेड़ रै वांध दियो र उणरी पत्नी सागै वेजां बरताव करियो । दुष्ट लोगां रे इण अत्याचार नै देख अरजुन नै घग्गो किरोध आयो पर वो रस्सी सूं वंध्यो हुवरण र कारण लाचार हो । कोवावेस में चाय वीं आपण कुळदेवता मुद्गर पारिण जक्ष नै कोसरणो सरु कर्यो । वो कैवा लागोम्ह्णू थांरणी वाळपणा सू उपासना करतो प्रायो हूं । आज म्ह मुसीबत में पड़यो परण थां म्हारो कांई नदद नीं करो | म्हारो प्रो अपमान थां भाटा री मूरत दाई ऊभा ऊभा देखऱ्याहो । म्हन लागे यांगा में अबै कांई सत नीं र्यो । अरजुन री श्री क्रोध भरी पुकार सुग जक्ष अरजुन र सरीर में बड़ग्यो । वीमें धरणी ताकत यायची । वीं बंध्योड़ी रस्सी तोड़ नाखी अर मुद्गर हाथ में ले'र विसयवासना में घांघा हुयोड़ा वदमासां पर श्रापणी पत्नी वंधुमती री खूब पिटाई करी । जिरण तूं उणां प्रारणांत हुयच्यो । पर फेरू ं अरजुन रो किरोध सांत नीं हुयो । उपने मिनखजात सू' इज नफरत हुयगी 1 वो जे मिनखां ने आपणी कांनी