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इस पोथी में बारा अध्याय है। सरुपात रा तीन अध्याय काळचक्र, चवदह कुळकरअर महावीर सूपैली हुयोड़ा तैवीस तीर्थकरां सूसम्बन्ध राखे। बाद रा छह अध्यायां मांय महावीर रै जनम काळ री स्थिति, उणारै जनम, टाबरपण, वैराग, साधक जीवन, केवळीचर्या अर परिनिर्वाण रो विवरण है। माखरी तीन अध्याय महावीर रै सिद्धान्त, महावीर री परम्परा पर महावीर-वाणी सू सम्बन्धित है । महावीर-वाणी में भगवान महावीर रा जीवनस्पर्शी उपदेस मूळ प्राकृत भाषा में राजस्थानी अनुवाद रै सागै संकलित किया गया है।
इण पोथी रै लिखण में म्हारा पति डा. नरेन्द्र भानावत सरु सूई म्हारो मार्गदर्शन करियो । प्राचार्य श्री हस्तीमलजी म. सा. द्वारा लिख्योड़ी 'जैन धर्म का मौलिक इतिहास' प्रथम भाग (तीर्थङ्कर खण्ड) अर श्री मधुकर मुनि, श्री रतन मुनि, श्री श्रीचन्द सुराना 'सरस' द्वारा लिख्योड़ी 'तीर्थङ्कर महावीर' पोथियाँ सू म्हनै विशेष मदद मिली । इणारे प्रति आभार प्रगट करणो म्हूं आपणो परम कर्तव्य मानूं।
अनुपम प्रकाशन रा संचाळक श्री मोहनलाल जैन इण पोथी र छपावरण रो जिम्मो ले'र जिण साहस रो परिचय दियो वो प्रशंसा जोग है। पोथी जलदी में त्यार करीजगी है । इण कारण जै कोई अशुद्धियां रेयगी है, उण खातर म्हूं पाठकां सू माफी चाऊ।