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गन्ती पूछिया जीव सूतोवीरो सूवरो
३. जयन्ती पूछियो-भगवन् ! जीव सूतो आछो के जागतो?
भगवान बोल्या--कोई जीव सूतो प्राछो पर कोई जागतो। जो जीव अधरभी है, अधरम रो प्रचार करै, वीरो सूवणो आछो, जिसू वीका पाप करम बत्ता नी वधै। पण जो जीव धरम रो आचार-विचार राखे, धरम रो प्रचार कर. वीको जागणो आछो । वोकै जागणे सूखुद रो पर बीजां रो हित हुवै।
इण भांत जयन्ती भगवान सूघणाई तात्विक सवाल पूछिया। वांका संतोष जनक उत्तर सुण जयन्ती नै विराग हुयग्यो अर वीं संजम ग्रहण करियो।
कौसाम्बी सूविहार करर भगवान सावस्ती पधारिया। अठ सुमनोभद्र पर सुप्रतिष्ठ दीक्षा लीवी । अठा सूविहार कर'र महावीर वारिगज गांव पधारिया । आनन्द गाथापति नै श्रावक धरम रो उपदेस दियो पर अठैइज चौमासो पूरो कियो। चौथो बरस : सालिभद्र नै वैराग :
__वाणिज ग्राम सूविहार कर'र मगध कांनी होता हुया भगवान राजगृही पधारिया । अठ गोभद्र नाम रो एक सेठ हो। उण री पत्नी रो नाम भद्रा हो । उणां रो पुत्र सालिभद्र घणो रूपाळो अर सुकुमार हो । बत्तीस रूपाळी राणिया र सागै उरण रो व्याव हुयो । सालिभद्र रा मां-बाप कनै अपार धन संपत्ति ही ।ई कारण वो दिन-रात भोग-विळास पर ऐस आराम में डूब्यो रैवतो।
एकदा राजगृही में रतन कम्बळ रा वैपारी रतन कम्बळ बेचण खातर प्रायाहा। कम्बळ घणा मंहगाहा। इण कारण राजा श्रीणिक परण कम्बळ खरीदण सूइनकारी करदी। कम्बळ री बिकरी नी हुवरण स्वैपारी दुखी हुया। सेठाणी भद्रा नै जद वैपारियां रै प्रावण रीठा