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मालिका नै दास बरणायोड़ा लोगां नै कड़ी सजा देवण रो पूरो अधिकार हो । अमीर लोग खुद नै बड़ा ऊंचा प्रादमी समझ र गरीब मिनखां पर घणा अत्याचार करता हा । जात पांत रो भावना रो बोलबालो हो । मिनख री पूजा गुणां सूनी हो र जाति, धन, पर दण्डशक्ति सूहुवती।
सेवा करणिया सूद्र लोगां रै प्रति ऊंचा तबका रे लोगां रो रवैयो घणो खराब हो। बां ने पढ़ा-लिखण रो अधिकार नी हो अर नी धरम रा बोल सुणबा रो। सूद्र लोग जद कदैइ धरम (वेद) रा बोल सुरण लैवता तो वरणां रै कानां में ऊनौ-ऊनौ सीसो भरबा रो रिवाज हो अर जद कोई धरम रा बोल बोल लैवता तो वारी जबान काट ली जावती । ऊंचा तबका रा लोग नीचा लोगों ने कैवता के थां खोटा करम करने आया हो जि खातर थां नै ओ फळ भुगतणो पड़र्यो है । बिचारा सूद्र लोग विवस भाव सू से तकलीफी सहन करता।
स्त्री जाति री वीं वगत घरणी बुरी हालत ही। बां नै धार्मिक पोथियां पढबा रो अधिकार नी हो। नारी सब भांत उपेक्षित पर अधिकारहीन ही। बी रो मोल गाजर मळी सूबत्तो नी हो। गायां भैसा दाई लुगायां चौराया पर ऊभी करर बेची जांवती। नारी घर री लिछमी नी होय'र एक मात्र दासी ही।
उण वगत री राजनीतिक हालत पण घरणी बोदी ही। सबळ राजा कमजोर राजा सू जुद्ध करता अर उरणारी सुन्दर स्त्रियां नै गुलाम बरगा'र उरणारो उपभोग अर शोषण करता । कासी, कौसल, वैसाली, कपिलवस्तु आदि राज्यां में गणतन्त्र शासन व्यवस्था ही पण वा राज-काज रै काम ताई सीमित ही। साधारण जनता नै कोई लोकतन्त्रीय अधिकार नी मिल्यौडा हा । अंग, मगध, सिन्धुसौवीर, अवंती आदि देसां में राजतन्त्र शासन पद्धति ही। अठा रा