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सड़ियोड़े भोजन री दुर्गन्ध सूराजावां रो माथो फाटबा लाग्यो, जीव मिचलावा लाग्यो । नाक आडो दस्तीरूमाल लगार वी बारै भागवा री कोसिस करवा लाग्या। अवै सूरत पर सू वांको ध्यान हटग्यो । वी समै मल्ली कुवरी राजावां ने प्रतिवोध दैवता कैवरण लागी-ई मूरत मे पड़िय सड़ यौड़े अन्न री दाई ओ सरीर पण सूगळो अर निस्सार है। ज्ञानी पुरुस बाह्य सरीर रै रूप-रंग सूप्रीत कोनी करै। आप लोग म्हारै ई नश्वर सरीर खातर पिताजी पर हमलो करण ने तैयार हो। जरा सोचो ! ई जुद्ध में कितरा निरपराध प्राणियां री हिंसा हुवैली।
__ मल्ली कुमारी रो प्रतिवोध सुरण छऊ राजा पापणी गलती पर पछतावो करियो । वी विनय भाव मूबोलिया- भगवती ! थां म्हानै अधारां सूउजाळा में ले आया हो । अवै म्हां सजम रै मारग पर चालर आपणां करम काटाला ।
छऊ राजावां नै प्रतिवोध देय'र मल्लिकुमारी दीक्षा अगीकार करी । पछै कठोर तपस्या करनै निर्वाण प्राप्त करियो ।
२०. मुनिसुव्रत :
बीसवां तीर्यङ्कर थी मुनिसुव्रत हुया। इणारो जनम राजगृही में हुयो । आपरै पिता रो नाम महाराज सुमित्र अर माता रो महाराणी पद्मावती हो । प्रापरो लाछरण काछवो पर निर्वाणस्थळ सम्मेदसिखर हो । आपरै समै मै इज राम-रावण रो सघर्ष हुयो। जैन मतानुसार इणीज काळ में राम वळदेव, लक्षमण बासुदेव अर रावण प्रतिवासुदेव हुया । महाराणी सीता री गणना जैन परम्परा माफिक सौळे सतियां में हुवै । मुनि सुव्रत रै तीरथकाळ में हरिषेण नाम न चक्रवर्ती सम्राट हुया।