________________
पलो हो । त्रिपृष्ठ रो भाई विजय नौ वळदेवां में पैलो गिण्यो जावै । अं दोन्यू भाई घणा प्रतापी पर तीर्थङ्कर श्रेयांसनाथ रा खास भगत हा । श्री श्रेयांसनाथ धरम री टूटी परम्परा नै फेलं जोड़ी अर तीर्थङ्कर धरम री लोक में पुखती थरपणा करी। आपरो निर्वाण सम्मेदसिखर पर हुयो।
१२. वासुपूज्य :
वारमा तीर्थङ्कर श्री वासुपूज्य हुया। इणांरो लांचरण भैसो है। प्रापरो जनम चम्पानगरी में हुयो। आपरै पिता रो नाम वसुपूज्य अर माता रो जयादेवी हो। आपरै सम में दूजो बळदेव अबळ, दूजी वासुदेव हिपृष्ठ अर दूजो प्रतिवासुदेव तारक हुयो । यापरो निर्वाण स्थळ चम्पा मानीजै। .
१३, विमलनाथ :
तेरहवां तीर्थङ्कर श्री विमळनाथ हुया । इणांरो जनम स्थान कम्पिळपुर हो । ग्रापर पिता रो नाम कृतवर्मा पर माता रो स्यामा हो। आपरो लांछण सुअर पर निर्वाण स्थळ सम्मेदसिखर है। अापरै समै में सुधर्म नाम रो वळदेव, स्वयंभू नाम रो वासुदेव अर मेरक नाम रो प्रतिवासुदेव हुयो।
१४. अनन्तनाथ :
चवदवां तीर्थंकर श्री अनन्तनाथ हुया। इणां रो जनमस्थान अयोध्या, वंस इक्ष्वाकु, पिता रो नाम सिंहसेन अर माता रो सुयसा हो। प्रापरो लांछरण बाज अर निर्वाणस्थळ सम्मेदसिखर हो । इणीज काळ में सुप्रभ वळदेव, पुरुसोत्तम वासुदेव अर मधुकैटभ प्रतिवासुदेव हुया।