________________
११५
करम रा भेद :
आतमा रा मुख्य पाठ गुण हुनै । इणांन आच्छादित करण सूकरम भी आठ प्रकार रा मानीज (१) ज्ञानावरण (२) दरसनावरण (३) वेदनीय (४) मोहनीय (५) आयु (६) नाम (७) गोत्र अर (८) अन्तराय।
इणा पाठ करमां मांय सूज्ञानावरण, दरसनावरण, मोहनीय अर अन्तराव प्रचार घाती करम कहीजे पर वाकी रा चार वेदनीय, प्रायु, नाम पर गोत्र अघानी करम कहीजै । घाती करम ग्रातमा रै साग रचे । प्रातमा रै ज्ञान, दरसण, चारित्र, सुख आदि मूल गुणां रो घात करै। इण करमा नै नष्ट कियां विगर आतमा सर्वन पर केवळो नी वण सके। अघाती करम आतमा रै मूल स्वरूप नै नष्ट नी करै । इणांरो असर केवल सरीर, इन्द्रिय, उमर आदि पर पड़े । इणांरो सम्बन्ध इगीज जनमताई रवै।
१. ज्ञानावरण :
जो करम प्रातमा री ज्ञान शक्ति नै अाच्छादित कर वो ज्ञानावरण करम कहीजे । ज्यू प्रांख्यां पर लाग्योड़ी कपड़े री पट्टी देखण में बाधा डालै, उणोज भांत नानावरण करम पातमा नै पदारथ रो जान करण मे रुकावट डाले।
२. दरसनावरण :
दरसनावरण करम पातमा री पदारथां नै देखण री शक्ति नै आच्छादित करै । ओ करम पैरेदार रै समान है जो राजा रै दरसण करण या मिलण में रुकावट डाले। ३. वेदनीय ।
वेदनीय करम रा दो भेद हुगे-साता वेदनीय अर असाता वेदनीय । साता वेदनीय र उदय सूजीव सारीरिक र मानसिक