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पु. भा.
म. वी. करना चाहिये ( उत्तर ) पंचपरमेष्ठीका, जैनशास्त्रका, आत्मतत्वका धर्मशुक्लरूप ध्यान
६ करना चाहिये दूसरा आर्त रौद्र रूप खोटा ध्यान कभी नहीं करना। ॥५ ॥
हा (प्रश्न ) शीघ्र ( जल्दी) क्या काम करना चाहिये ( उत्तर ) जिससेः संसारका ६ नाश हो ऐसे अनंत ज्ञान चारित्रको पालना चाहिये दूसरे मिथ्यात्वादिको नहीं ॥ (प्रश्न) ४। इस संसारमें सज्जनोंके साथमें जानेवाला ( सहाई ) कौन है । ( उत्तम ) दयामयी धर्म है ४ ही सहायता करनेवाला बंधु है, जोकि सब दुःखोंसे रक्षा करनेवाला है, इसके सिवाय P, कोई सहगामी नहीं है । ( प्रश्न ) धर्मके कोंन २ लक्षण व कार्य हैं । (उत्तर) वारह तप,
रत्नत्रय, महाव्रत अणुव्रत, शील और उत्तम क्षमा आदि दश लक्षण-ये सब धर्मके कार्य व चिन्ह हैं।
(प्रश्न ) धर्मका इस लोकमें फल क्या है (उत्तर) जो तीनलोकके स्वामियोंकी इंद्र धरणेंद्र चक्रवर्ती पदरूप संपदायें श्रीजिनेंद्रका अनंत सुख-ये सब धर्मके ही उत्तम फल
हैं ( प्रश्न ) धर्मात्माओंके चिन्ह ( पहिचान ) क्या हैं ( उत्तर) उत्तम शांतस्वभाव, अS/भिमानका न होना और रातदिन शुद्ध आचरणोंका पालन ये ही धर्मात्माओंकी पहचान
है । ( प्रश्न ) पापके क्या २ चिन्ह हैं ( उत्तर ) मिथ्यात्वादि, क्रोधादि कपाय खोटी संगित और छह तरहके अनायतन-ये पापके चिन्ह हैं ।
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