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हाहे जगतको कल्याण करनेवाली तीन लोकके स्वामीको दिव्य गर्भ धारण करनेसे हरि
|हरादिके मनकी रक्षा कर। (इसके श्लोकमें 'अब' क्रिया छिपी हुई होनेसे क्रिया गुप्त है ॥ PIT जगतको कल्याण करनेके लिये अपने गर्भ में तीर्थंकरको धारण करनेवाली है। माता धर्मतीर्थको करनेवालेकी उत्पत्तिमें देव विद्याधर भूमिगोचरी जीवोंका तीर्थस्थान वन ।) इसमें अट क्रिया गुप्त है) ॥ हे देवी महारानी इस लोक और परलोकमें कल्याण
करनेवाला कोन है । ( माताका उत्तर ) जो धर्मतीर्थका प्रवर्तानेवाला है वही श्री अर्हत-18 हादेव तीन जगतको कल्याण करनेवाला है ॥ ( प्रश्न देवियोंका ) गुरुओंमें सबसे महान ही ही गुरु कोंन है ? ( उत्तर ) जो तीन जगतका गुरु और सब अतिशयोंकर तथा दिव्य अनंत गुणोंकर विराजमान ऐसा श्री जिनेंद्रदेव ही महान् गुरु है।।
(प्रश्न ) इस जगतमें किसके वचन श्रेष्ठ और प्रमाणीक हैं । ( उत्तर ) जो सवका जाननेवाला, दुनियांका हित करनेवाला, अठारह दोष रहित और वीतरागी है ऐसे अ-2 शहंत भगवानके वचन ही श्रेष्ठ और मानने योग्य हैं इसके सिवाय दूसरे मिथ्यातियोंके । नहीं । (प्रश्न ) जन्म मरणरूपी विषको दूरकरनेवाला अमृतके समान क्या पीना चाहिये।
( उत्तर ) जिनेंद्रके मुखकमलसे निकला हुआ ज्ञानामृत पीना चाहिये दूसरे मिथ्याज्ञानि-15 18योंके विषरूप वचन नहीं पीने । (प्रश्न ) इस लोकमें बुद्धिमानोंको किसका ध्यान
जन्जालन्छन्डन्छन्