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काँखे खोली
श्रखे दिलाई नाम का हिज्जे किया
नाम बतलाया
यह प्राश्चर्यित हुया परिचय जान सकते है
उसे आश्चर्य हुआ परिचय पा सकती हूँ तीच ऊँच लगी हो रहती है। सुख दुख का जोड़ा है
पत्र के पढने पर
पत्र पढने पर
आप को क्या काम है
मूर्ति के आगे झुक गया ठडी सॉस भरी
सष्ठि के बीच
अपनी आँखो से देखा है प्रियावर
पुत्री के विवाह को देखने धूल में उड़ गय
महनत फल लावेगी
शराब का दौर लगा रहे हैं
उनमें से होकर निकल जाना
श्राप क्या चाहते हैं
मूर्ति को प्रणाम किया ठंडी सास ली
सष्टि में
अपनी आँखो देखा है
प्रियतमा
पुत्री का विवाह देखने
धूल में मिल गए
परिश्रम सफल होगा
मधुमंगल मिश्र
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प्रमथनाथ भट्टाचाय
वेंकटेश नारायण तिवारी
सत्यदेव
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रामचन्द्र शुक्ल पूर्ण सिंह
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बदरीनाथ भट्ट सत्यदेव
शराब का दौर चल रहा है
उनके बीच से होकर निकल गणेश शंकर विद्यार्थी
जाना
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एक हो शरीर म अनेक श्रात्माए
राजपूतनी
एक अशरफी को ग्रात्म कहानी
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श्राश्वयजनक घंटा
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कविता क्या है ?
कन्यादान
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आत्मोत्सर्ग
महाकवि मिल्टन
अमेरिका भ्रमण | ५|
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