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________________ प्रश्नोत्तर-प्रवचन-२ मत करो। उसका मतलब हुआ कि अभी जिओ, इसी क्षण में जिओ, कल की बात मत करो । तो दुनिया, पुरानो दुनिया गरीब दुनिया थी और गरीब दुनिया कभी भी इसो क्षण में नहीं जी सकती। गरीब दुनिया को हमेशा भविष्य में जीना पड़ता है। अगर किसी गरीब आदमी से कहो कि आज ही जियो तो क्या आप कहते हैं, कल का क्या होगा। लेकिन दुनिया बदल गई है, समृद्ध दुनिया पैदा हो गई है। ___ अमेरिका में पहली दफा धन इस बुरी तरह बरस पड़ा है कि अब कल का कोई सवाल नहीं । बुद्ध की यह बात कि 'आज इसी क्षण जियो' पहली बार सार्थक हो जाएगी। पहली दफा, कल की चिन्ता करने की जरूरत नहीं। कल का कोई मतलब ही नहीं। आयेगा, आयेगा; नहीं आएगा, नहीं आएगा । गरीब दुनिया जो है वह स्वर्ग बनाती है आगे। वहाँ तृप्तियाँ हैं । यहाँ तो सुख मिलता. नहीं, तो आदमी सोचता है मरने के बाद । समृद्ध दुनिया जो है, वह आगे क्यों बनाए। वह आज ही बना लेती है, इसी वक्त बना लेती है। हिन्दुस्तान का स्वर्ग भविष्य में होता है; अमेरिका का स्वर्ग अभी और यहीं। इसी से हमें इर्ष्या होती है। भौतिकवादी से ईर्ष्या का अधिकार है हमको। इसलिए हम गाली देते हैं, निन्दा करते हैं, उसका भी कारण है । उसका स्वर्ग अभी बना जा रहा है, हमारा मरने के बाद, पक्का भरोसा नहीं कि होगा कि नहीं होगा। बुद्ध ने जो संदेश दिया वह तात्कालिक जीने का है, उस क्षण जीने का है। महावीर का जो संदेश है, मन के संकल्प का है। संकल्प तनाव ( टेन्शन ) से चलता है । संकल्प को जो प्रक्रिया है, वह तनाव की प्रक्रिया है, परम तनाव की । और मजे की बात यह है कि सब चीजें अगर उनकी पूर्णता तक ले जाई जाएं तो अपने से विपरीत में बदल जाती है। यह नियम है। अगर आप तनाव को उसके अति (एक्स्ट्रीम) पर ले जाएँ तो विधाम शुरू हो जाता है। जैसे कि हम इस मुट्ठी को बांधे और पूरी ताकत लगा दें बांधने में। फिर मेरे पास ताकत ही न बचे तो मुठ्ठी खुल जाएगी। क्योंकि जब मेरे पास ताकत नहीं बचेगी और सारी ताकत बाँधने में लम जाएगी और आगे ताकत नहीं मिलेगी बांधने को तो क्या होगा ? मुट्ठी खुल जाएगी । और मैं मुठ्ठी को खुलते देखूगा, बांध भी नहीं सकूँगा, सारी ताकत तो मैं लगा चुका हूँ, हां धीरे से मुठ्ठो को बांध तो खुल नहीं सकती अपने आप, क्योंकि ताकत मेरे पास सदा शेष है जिससे मैं उसको बांधे रहूँगा। इसलिए महावीर कहते हैं कि संकल पूर्ण कर दो। इतना तनाव पैदा होगा कि तनाव की आखिरी गति आ जाएगी और फिर तनाव समाप्त हो
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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