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महागीर : मेरी दृष्टि में
अनुभव भी इसके साथ खड़ा हो गया। अब स्वतन्त्रता का पैसा उपयोग करना मुस्किल है।
तो को मुक्त हो गया वह संसार का दुःख झेलने के लिए वासना करे यह असम्भव है। चाहे वो बा जाए, कोई रोकने वाला नहीं है उसको, लेकिन वह चाहनहीं सकता। महावीर अगर सिशिला छोड़कर वापिस आना चाहें तो कोई उन्हें रोक नहीं सकता। कौन रोकने वाला है? लेकिन महावीर नहीं आ सकते क्योंकि अब अनुभव भी साथ है। यहाँ का अनुभव काफी भोग लिया, वह दुःख काफी झेल लिया। वह अनुभव इतना गहरा हो गया कि उसका कोई अर्थ नहीं है, उसका कोई प्रयोजन नहीं है।