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महावीर : मेरी दृष्टि में
बहुत बारीक अज्ञान जा सकता है क्योंकि
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मुक्त करोगे ? कोई
सकते लेकिन जिसको ज्ञान भी नहीं कहा जा सकता । की रेखा शेष है। वह यह है कि किसी को मुक्त किया जो अपनी स्वतन्त्रता से अमुक्त हुए हैं उनको तुम कैसे दुःख में है, यह भी अज्ञान है । क्योंकि वह दुःख उसके स्वयं का निर्णय है । और किसी को उसके समय के पहले वापिस लोटाया जा सकता है यह भी सम्भव नहीं । उसका अनुभव तो पूरा होगा ही । यानी अगर इस शर्त पर हम गौर करें तो करुणा अन्तिम वासना है। पर उसे वासना कहने में, अज्ञान कहने में भी बुरा लगता है। इसलिए वह एक आध बार जन्म ले सकता है, इससे ज्यादा नहीं | क्योंकि तब वह करुणा भी क्षीण हो जाएगी। वह भी जल जाएगी। वह भी विलीन हो जाएगी ।
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प्रश्न : यह बात आप कहते हैं कि समय के पहले नहीं लोटता है ?
उत्तर : समय के पहले का मतलब यह नहीं है कि किसी का समय कोई तय है। समय के पहले का मतलब यह है कि उसका पूरा भोग हो जाए । समय के पहले का मतलब यह नहीं है कि एक तारीख तय है कि उस तारीख को तुम लौटोगे | तारीख तय नहीं है लेकिन तुम्हारा अनुभव तो पूरा हो जाए । उसके पहले तुम्हें नहीं लौटाया जा सकता ।
प्रश्न: क्या मेरे पर ही निर्भर करता है कि कब लौटें ?
उत्तर : बिल्कुल तुम पर ही निर्भर करता है, नहीं तो परतंत्र हो जाओगे तुम । फिर मुक्ति नहीं हो सकती तुम्हारी कभी भी । अगर किसी ने तुम्हें मुक्त कर दिया तो वह नयी तरह की परतंत्रता होगी । फिर तुम कभी मुक्त नहीं हो सकते । और इसलिए मैं कहता हूँ कि परम स्वतंत्रता है आत्मा को दुःख भोगने की, नरकों की यात्रा करने की, पीड़ाओं में उतरने की, जलने की सब में उतर जाने की उसे पूरी स्वतंत्रता है और कोई नहीं सकता ।
ईर्ष्याओं में
उसे लौटा
प्रश्न : उतरने की जरूरत क्या है वापस ? जिन आत्माओं को कररणा की अन्तिम इच्छा रहती है वही उतरती हैं। सभी को उतरने की जरूरत नहीं है । उत्तर : यही तो मैं कह रहा है । उतरने की जरूरत नहीं है। लेकिन मैं यह कह रहा हूँ कि करुणा अन्तिम वासना है और यह उसका चुनाव है। यानी यह जो मैं कह रहा हूँ कि स्वतंत्रता, परम स्वतंत्रता है हमें। और अगर मैं बाज मुक्त हो जाता है और फिर भी लौट आना चाहता हूँ तो दुनिया में मुझे कोई