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प्रश्नोत्तर-प्रवचन-२
हम गौर से देखेंगे तो सब स्थिर है, सब शान्त है। स मूर्ति में सब शान्त है, सब स्थिर है जैसे वहां कोई गति ही नहीं, कोई कम्पन नहीं। इसलिए, पत्थर की मूर्तियां चुनी गई क्योंकि पत्थर हमारे पास सबसे ज्यादा ठहरा हुआ तत्व है जिससे हम खबर दे सकें सबसे ज्यादा ठहरा हुआ और उस ठहराव में भी जो हमने रूपरेखा चुनी है, वह बिल्कुल ठहरी हुई है । मूवमेन्ट की बात ही नहीं। इसलिए हाथ जुड़े हुए हैं, पर जुड़े हुए हैं। पैर क्रॉस्ड हैं पद्मासन में, आंखें आधी बन्द हैं। ध्यान रहे आंखें अगर पूरी बन्द हों तो खोलनी पड़ेंगी। आंखें अगर पूरी खुली हों तो बन्द करनी पड़ेंगी क्योंकि अति से लौटना पड़ता है। अति पर कोई ठहर नहीं सकता। अगर आप श्रम करें तो आपको विश्राम करना पड़ेगा। अगर विश्राम करें बहुत, तो फिर आपको श्रम करना पड़ेगा। 'अति' पर कोई कभी ठहर नहीं सकता। इसलिए आँख को आधा खुला, आधा बन्द रख दिया है, मध्य में जहाँ से न यहाँ जाना है न वहां जाना है, ठहरने का प्रतीक है सिर्फ, सब ठहर गया है। अब कहीं कुछ जाना-आना नहीं। अब कहीं कोई गति नहीं। न पीछे लौटना है, न आगे जाना है। अब कहीं कुछ जाना नहीं । यह सब ठहरा हुआ वह बिल्कुल केन्द्र में है। • तो मन्दिर प्रत्येक व्यक्ति का प्रतीक है कि तुम अपने साथ क्या कर सकते हो । या तो तुम बाहर के कोनों से जा सकते हो, यात्रा पर। यह इन्द्रियों की यात्रा होगी। या तो भीतर मस्तिष्क के विचार में चक्कर लगा सकते हो; वह परिभ्रमण होगा। और या तुम सबके बीच में जाकर स्थिर हो सकते हो; वह उपलब्धि होगी । हजार तरह की कोशिश की है । नृत्य में, संगीत में, चित्र' में, मूति में, शब्द में, हजार तरह की कोशिश की है। पिरामिड हैं, इजिप्त के । उनमें जो बड़े अद्भुत रहस्य है, वे सब खोद डाले हैं उन्होंने कि कभी भी कोई जानने वाले लोग आएंगे तो पत्थर न मिटेंगे। बड़ी मेहनत की है। सब खोद डाला है कि अन्तरात्मा तक पहुँचने का क्या रास्ता है ? पिरामिड के पूरे पत्थरों में सब इशारे खुदे हुए हैं, पूरे इशारे खुदे हुए हैं ।
जिन लोगों ने जाना है, उन्होंने बहुत तरह की कोशिश की है कि जो जाना है वह किसी तरह रह जाए और बाद में जब भी कोई जानने वाला आये तो वह फौरन खोल ले कि वहां क्या है। वे हैं कुंजियाँ जिनसे ताले खुलते हैं । लेकिन न मापको ताले का पता है, न आपको कुंजी का पता है। आप कुंजी भी लिए बैठे हैं; ताला भी लटका है, कुछ नहीं खुलता। और पहली बात यह है कि अगर