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प्रश्न : अन्तर्राष्ट्रीय विचारकों में बुद्ध या कमफ्युसियस का नाम लिया जाता है, महावीर का नाम नहीं लिया जाता है। करोड़ों लोग मिल जाएँगे पृथ्वी पर जिन्होंने महावीर के नाम को कभी नहीं सुना। इतना अद्भुत व्यक्ति और इतने कम लोगों तक उसकी खबर पहुंचे तो इसका क्या कारण हो सकता है ?
उत्तर : ठीक पूछा आपने। इसका कारण है । महावीर वादी नहीं है । और जो बादी नहीं है उसकी बात हमारी समझ में आनी बहुत मुश्किल है । जो वादी नहीं है वह सुबह कुछ, साँझ कुछ, दोपहर कुछ कहेगा । उसका हर वक्तव्य दूसरे वक्तव्य का विरोधी मालूम होगा । और हम चाहते हैं सुसंगति कि वह एक बार जो बात कहे फिर वही कहता रहे। टालस्टाय ने कहा है कि जब मैं जवान था तो मैं सोचता था कि वही असली विचारक है जो सुसंगत चीज कहता है । जब एक चीज कहता है तो उसके विरोध में कभी दूसरी बात नहीं कहता है । लेकिन अब जब मैं बूढ़ा हो गया है तो मैं जानता हूँ कि सुसंगति है, उसने विचार ही नहीं किया क्योंकि जिन्दगी सारे विरोध से भरी है । जो विचार करेगा उसके विचार में भी विरोध आ जाएँगे। वह ऐसा सत्य नहीं कह सकता जो एकांगी, पूर्ण और दावेदार हो । उसके प्रत्येक सत्य की घोषणा में भी झिझक होगी । लेकिन झिझक उसके अज्ञान की सूचक बन जाएगी जबकि झिझक उसके ज्ञान की सूचक है ।
अज्ञानी जितनी तीव्रता से दावा करता हैं उतना ज्ञानी के लिए करना मुश्किल है । असल में अज्ञानी सदा दावा करता है, दावा कर सकता है क्योंकि समझ इतनी कम है, देखा इतना कम है, जाना इतना कम है, पहचाना इतना