________________
मनोसर-प्रवचन-१९
५६९
महावीर कहते हैं कि अनुभव के अनन्त कोण हैं और प्रत्येक कोण पर खड़ा हुआ भादमी सही है। बस भूल यहां हो जाती है कि वह अपने कोण को सर्वग्राही बनाना चाहता है। वह कहता है कि जो मैंने जाना, बही ठीक है । और हम जल्दी करते हैं इस बात की कि अगर हमने एक ही कोना जान लिया और पूरी तरह से जान लिया तो हम सोचते हैं कि बस जानना पूरा हो गया। .. यहाँ समझ लें कि एक बिजली का बल्व जला हुआ है । उस बिजली के बल्ल को बुझाना हो तो एक आदमी डंडे से बल्ब को चोट कर दे तो बल्ब बुझ जाएगा। दूसरा आदमी कैची लाए और वायर को काट दे तो भी बल्ब बुझ जाएगा। तीसरा आदमी बटन दबा दे तो भी बल्ब बुझ जाएगा। जिस आदमी ने वापर काटा वह कह सकता है कि बिजली वायर थी। जिस आदमी ने बल्ब फोड़ा वह आदमी कह सकता है कि बिजली बल्ब थी। तीसरा आदमी कह सकता है कि बटन बिजली थी और वह भी हो सकता है कि बटन भी न दबे, बल्ब भी न फूटे, तार भी कायम रहे और बिजली भी खो जाए । किसी ने यह भी देखा हो तो वह कहेगा कि इस सबमें कोई बिजली नहीं है । ये चारों आदमी अपनी-अपनी दृष्टि से बिल्कुल हो ठीक कह रहे हैं और प्रत्येक की दृष्टि ऐसी लगती है कि दूसरे की दृष्टि के विरोध में है। लेकिन महावीर कहते हैं कि विरोधी दृष्टि ही नहीं है और सब एक दूसरे के परिपूरक हैं और सब एक ही सत्य के कोने हैं । सिर्फ हमारी सीमित दृष्टि के कारण ही यह सब विरोधी दिखाई पड़ रहा है । अगर हम पूरे को देख सकें तो वह भी एक सहयोगी दृष्टि है।
__ महावीर कहते हैं कि हम सब दृष्टियां जोड़ लें तो भी सत्य पूरा नहीं हो जाता क्योंकि और दृष्टियां भी हो सकती है जो हमारे ख्याल में न हों। इस. लिए महावीर अनेक की सम्भावना रखते हैं, एक का आग्रह नहीं करते । और उसी युग में उनके कम से कम प्रभाव पड़ने का कारण यही था। बुद्ध की एक दृष्टि है । उनकी दृष्टि पक्की है। वह अपनी दृष्टि पर सख्ती से खड़े हैं । उस दृष्टि में वह इंच मात्र यहाँ-वहाँ नहीं हिलते। और जब कोई एक आदमी सस्ती से एक दृष्टि पर बात करता है तो लगता है कि वह आदमी कुछ जानता है। ढीला ढाला नहीं है दिमाग उसका, हर किसी बात में ही नहीं कह देता। बहत साफ दृष्टि है उसको । अब यह बड़े मजे की बात है कि साफ दृष्टिवाला हम जिसको कहते हैं वह एकान्तवादी होता है। क्योंकि वह बिल्कुल एक बात पक्की कह देता है कि सूप जैसा है हाथी, इसमें रत्ती पर गुंजाइश नहीं रह जाती शक को । और जो इससे अन्यथा कहता है, वह पागल है, नासमझ है, अज्ञानी