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________________ ५४२ महावीर : मेरी दृष्टि में साधना में भी दीक्षित करना पड़ता है। वह पहल लेती ही नहीं। इसलिए निर्दोष लड़कियां मिल जाती है, निर्दोष लड़के मिलना बहुत मुश्किल हैं । कुंवारी लड़कियां मिल जाती हैं, कुंवारे लड़के मुश्किल से होते हैं। लड़कियों पर जो हमें इतने नियंत्रण और बन्धन मालूम पड़ते हैं वे असल में लड़कियों पर नहीं हैं । लड़कियों को जो घर में रोका गया है, लड़को से नहीं मिलने दिया है, वह ' इसलिए नहीं कि लड़कियों पर अविश्वास है उसका कारण यह है कि लड़कों पर विश्वास नहीं है। वे पहल दे सकते हैं पाप की । और चूंकि लड़कियां कोई पहल नहीं दे सकती कभी भी, महावीर ने व्यवस्था की कि हर स्थिति में साध्वी साधु को आदर दे । इसमें पुरुष के अहंकार की भी तृप्ति हुई । साधुओं ने समझा होगा हमारा बड़ा सम्मान हुआ । आज भी यही समझ रहे हैं। प्रश्न : नमस्कार करने वाले का अहंकार टूटता है या जिसको नमस्कार किया जाता है, उसका अहंकार टूटता है ? उत्तर : यहाँ अहंकार तोड़ने का मतलब नहीं है। यहाँ महावीर पुरुप का अहंकार पूरी तरह सुरक्षित कर रहे हैं। साध्वी पुरुष को नमस्कार करे इसमें साध्वी का अहंकार टूटेगा, पुरुष का मजबूत होगा। और जब पुरुष को एक बार पता चल जाए कि एक स्त्री ने मुझे आदर दिया तो वह उस स्त्री को पाप में नहीं ले जाएगा। अगर एक स्त्री आपके पैर छू ले तो आप इस स्त्री को काम की दिशा में ले जाने में एकदम असमर्थ हो जाएंगे। इसलिए कि आपके अहंकार को बड़ी बाधा हो जाएगी। अब आप आदर को रक्षा करेंगे। लेकिन स्त्री के मामले में उल्टो बात है। अगर यह कहा जाए कि स्त्री को पुरुष आदर दे, उसके पैर छुए, तो इसमें भी समझने जैसा मामला है । स्त्री का चाहे पैर छुओ, चाहे कोई शरीर का अंग छुओ, स्त्री की कामुकता उसके पूरे शरीर पर व्याप्त है । पुरुष की कामुकता सिर्फ उसके काम-केन्द्र के आस-पास है। इसलिए पुरुष को सिर्फ सम्भोग से आनन्द आता है, स्त्री को सिर्फ सम्भोग से आनन्द नहीं आता जब तक कि वह उसके पूरे शरीर के साथ न खेले, और उसके पूरे शरीर को न जगाए । अगर पुरुष स्त्रो के पैर भी छु ले तो भी स्त्री में काम की सम्भावना जागृत हो सकती है। उसका पूरा शरीर कामुक है। और यह शुरूआत आगे बढ़ सकती है। पुरुष को अगर पहले ही झुका दिया जाए तो उसको और झुकने में डर नहीं रहा । अब वह स्त्री को किसी भी पाप-मार्ग से दीक्षित कर सकता है । इसलिए महावीर की बात तो अद्भुत है, आमतौर से यही समझा जाता है कि स्त्री को
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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