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प्रश्नोत्तर - प्रवचन- १५
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रखे हुए हैं वह उन्हीं में भटक कर मर जाती है। बाहर जाने का कोई उपाय नहीं । और अगर दुबारा कोई प्रतिभाशाली व्यक्ति पैदा हो जाय तो वह भीड़ उसे निकाल बाहर कर देतो है कि हमारे घरों में इसे रहने नहीं देना, यह आग लगवा देगा, और उसको फिर नया घर बनाना पड़ता है, और नया घर बनाना मुश्किल है। मतलब यह कि वह मुश्किल से जिन्दगी भर में थोड़े बहुत लोग इकट्ठा कर पाता है । तो अब तक आध्यात्मिक जगत् में जो नुकसान पहुँचता रहा है मनुष्य को वह इसलिए कि जो सम्प्रदाय हैं, सीमाएँ हैं वे बहुत सख्त और मजबूत हो जाती हैं । पच्चीसवाँ तीर्थंकर पैदा हो सकता है निरन्तर । इसमें कोई कठिनाई नहीं है । छब्बीसवाँ होगा, इसमें कोई सवाल ही नहीं है, कोई सीमा नहीं, कोई संख्या नहीं ।
प्रश्न : महावीर का कुछ काम बाकी रहे तब पच्चीसवां हो सकता है ?
उत्तर : काम तो कभी खत्म होता ही नहीं । महावीर का थोड़े ही कोई काम है ? काम तो यहाँ ज्ञान और अज्ञान की लड़ाई का है, मूर्च्छा और अमूर्च्छा का है । महावीर का थोड़े ही कोई काम है ।
प्रश्न : मुसलमानों में भी फकीर हुए हैं क्या मुहम्मद के बाद ?
उत्तर : हाँ, मुहम्मद के बाद बहुत लोग हुए हैं लेकिन उन्हें निकाल दिया मुसलमानों ने बाहर । जैसे वायजिद हुआ । उसे बाहर निकाल दिया फौरन । जैसे मन्सूर हुआ । गर्डन उड़ा दी उसकी। मुहम्मद के बाद जो भी कीमती आदमी हुए वे अलग हिस्सा हो गए सूफियों का । मुसलमान फिक्र नहीं करता उनको मानने की और सूफियों में भी सिलसिले बढ़ते चले गए ।
प्रश्न : सूफी किसे कहते हैं मोटे तौर पर ?
उत्तर : सूफो मुसलमानों के बीच में क्रान्तिकारी रहस्यवादियों का एक वर्ग है जैसा कि बौद्धों में ज़ेन फकोरों का एक वर्ग है, जैसा यहूदियों में 'हसीत' फकीरों का एक वर्ग है । यह सब बगावती लोग हैं जो परम्परा में पैदा होते हैं लेकिन इतने कोमती हैं कि उनको बगावत करनी पड़ती है । अब जैसे कि मुहम्मद के पोछे नियम बना कि एक ही अल्लाह है और उस अल्लाह का एक ही पैगम्बर है : मुहम्मद । सूफियों ने कहा कि एक अल्लाह है, यह तो बिल्कुल सच है लेकिन पैगम्बर हजारों हैं । बस झगड़ा शुरू हो गया । मुसलमान जब मस्जिद में नमाज पढ़ता है तो वह कहता है कि एक ही परम्परा है और एक उसका पैगम्बर है मुहम्मद । सूफी भी मस्जिद में नमाज पढ़ता है लेकिन वह
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