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________________ प्रश्नोत्तरप्रवचन-१५ ४७९ आएगा जो आपके भीतर कभी नहीं उठा था। और उसमें कुछ मैं भी नहीं कर रहा हूँ। वह उठ सकता है मेरी मौजूदगी में । तो बहुत गहरे तल पर काम करने वाले लोग हैं, बहुत गहरे तल पर सेवा है। लेकिन चूंकि हम पैसों के सिक्के पहचानते हैं, इसलिए कठिनाई हो जाती है ! महावीर पर यह इल्जाम रहेगा। इसको मिटाया नहीं जा सकता। जिस दिन यह मिटेगा, उस दिन वे जिनकी वजह से यह इल्जाम था, दो कौड़ी के हो जाने वाले हैं। तब महावीर एक नये अर्थ में प्रकट होंगे जिसका हिसाब लगाना अभी मुश्किल है । अरविन्द ने जरूर एक चेष्टा की है इस युग में, भारी चेष्टा की है, बड़ा श्रम उठाया है इस दिशा में लेकिन उनको भी पहचानना मुश्किल पड़ रहा है और उनको भी सहयोग नहीं मिल पाता। यह हमारी कल्पना के ही बाहर है कि एक गांव में एक आदमो के हट जाने से पूरा गांव बदल जाता है । वह कुछ भी नहीं करता था, बस वह था। तो भी उसके बदल जाने से पूरा गांव बदल जाता है। जबलपुर में एक फकोर थे मग्घा बाबा। वह ऐसे अद्भुत आदमी हैं कि उनकी चोरी भी हो जाती है। उन्हें अगर कोई उठाकर ले जाए तो वह चले जाते हैं। उनकी कई बार चोरी हो चुकी है। वह वर्षों के लिए खो जाते हैं । क्योंकि कोई गांव उनको चुराकर ले जाता है क्योंकि उनकी मौजूदगी के भी परिणाम हैं। अभी वह दो साल से चोरी चले गये हैं। पता नहीं कौन ले गया है उनको उठाकर। ऐसा कई दफा हो चुका है। उनको किसी ने उठा कर गाड़ी में रख लिया तो वह यह भी नहीं कहेंगे कि क्या कर रहा है, कहाँ ले जा रहा है, क्यों ले जा रहा है ? मगर उनकी मौजूदगी के कुछ अच्छे परिणाम हैं जो लोगों को पता चल गये हैं। तो लोग उनको चुराकर ले जाते हैं । और जिस गांव में वह होते हैं, जिस घर में वह होते हैं, वहाँ को सब हवा बदल जाती है। वहाँ कुछ भी नहीं रहता। और वह पड़े रहते, सोये रहते हैं ज्यादातर । वह कुछ नहीं बोलते। लोग आकर उनको सेवा करते रहते हैं। ऐसा अक्सर हो जाता है कि उनको चौबीस घंटे ही नहीं सोने देते। दिन-रात उनकी सेवा करते हैं। एक रात मैं उनके पास से गुजरा, कोई दो बजे थे। उन्होंने मुझसे कहा : मुझ पर कुछ कृपा करो। लोगों को समझाओ। चौबीस घण्टे दबाते रहते हैं। कभी दो-चार आदमी इकट्ठे दबा रहें हैं । तो वह बूढ़ा आदमी बेचारा लेटा है और कोई आदमी पैर दबा रहा है, कोई सिर दबा रहा है। उनकी सेवा का आनन्द है और उनके पास होने में आनन्द है । कोई जरूरत नहीं कि वह कुछ करें।
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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