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________________ ३९२ महावीर । मेरी दृष्टि में प्रश्न : मरने के बाद तो कोई श्रीमन्त के यहाँ जन्मता है, कोई गरीब के यहाँ जन्मता है । इसका क्या कारण है ? ___ उत्तर : हाँ सही है। यहां भी हमारी सूखी रेखाएं ही काम कर रही है। हमारा जो चित्त है, उसके जो आकर्षण हैं, हमने जो किया और भोगा है उसने हमें एक खास परिस्थिति दी है, एक खास संस्कार-बद्धता दी है। वह खास संस्कार-बद्धता हमें खास मार्गों पर प्रवाहित करती है। वे खास मार्ग सब रूपों में कारण से बंधे होंगे। चाहे वह समृद्ध के घर पैदा हो, चाहे गरीब के घर में, चाहे हिन्दुस्तान में पैदा हो, चाहे अमेरिका में, चाहे सुन्दर हो, चाहे कुरूप हो, चाहे जल्दी मरने वाला हो या देर तक जीने वाला हो इन सारी चीजों में उस आदमी ने जो किया है और भोगा है, उसकी संस्कारशीलता काम करेगी ही। अकारण यह कुछ भी नहीं है। प्रश्न : कल जब समाजवाद मा जाएगा, कारण और कार्य दोनों खत्म नहीं होंगे उस वक्त ? उत्तर : कारण और कार्य खत्म हो गए। जैसे आपने आग में हाथ डाले फिर आपने हाथ बाहर निकाल लिए तो डालना खत्म हो गया। भापका हाथ जला वह भी खत्म हो गया। हाथ की जलन भी खत्म हो गई लेकिन आग में डालने से जला हुमा हाथ पास रह गया। प्रश्न : किसी के कर्म का जो अन्तिम फल है वही तो चला अगले जन्म में? उत्तर : फल नहीं चलने वाला है । फल तो खत्म हो गया। प्रश्न : भाग मलने के कारण हाथ पर कुछ निशान रह गए ? उत्तर : हाँ ये जो निशान हैं न तो ये जलन है, न आग है। फल जलन था, वह तुमने भोग लिया। अब तुम्हारा हाथ जल गया है । प्रश्न : यह भी तो एक प्रकार का फल ही है कि हाथ कुरूप हो जाए ? उत्तर : बह सूखी रेखा है। सिर्फ चिह्न रह गया है कि तुम्हारा हाप जला था। प्रश्न : फल तो उसी का है ? उत्तर : नहीं, तुम फल का मतलब ही नहीं समझते । फल का मतलब होता है जलन । कारण था मापका हाथ डालना, फल था हाथ का जलना । यह एक घटना थी। इस घटना के सूखे संस्कार पीछे रह जाएंगे कि इस बादमी ने
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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