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प्रश्नोत्तरसावधान-११
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से मनुष्य के यंत्र का उपयोग किया जाता है लेकिन तरंगें भी पैदा की जा सकती हैं । वहाँ बोलने वाले की जरूरत नहीं है। बोलने से जो तरंगें मंडल में पैदा होती हैं वे पैदा कर दी जाएं तो वे जो भी मनोकामना करें, पैदा हो जाती है। वह अगर शोरगुल की मनोकामना करें तो शोरगुल पैदा हो जाए। और जैसा मैंने कहा कि देव या प्रेत योनि में जो सबसे बड़ी अद्भुत खूबी की बात है, वह यह है कि वहां कंठ की जरूरत नहीं, वाणी की जरूरत नहीं, सिर्फ मनोकामना पर्याप्त है।