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महावीर : मेरी दृष्टि में
ने; राग और रागिनियों को भी चित्रित किया है। लेकिन, वे भी उनकी ही समझ में आ सकती हैं, जिन्होंने संगीत सुना है। बहरे आदमी के वे भी कुछ समझ नहीं पड़ती। मेघ घिर गए हैं, वर्षा की बूंदें आ गई हैं, और मोर नाचने लगे हैं और एक लड़की है। उसकी साड़ी उड़ी जाती है और वह घर की तरफ भागी चली जाती है। उसके पैर के धुंधरू बज रहे हैं। अब किसी राग' को किसी ने चित्रित किया है। लेकिन बहरे आदमी ने कभी आकाश के बादलों का गर्जन नहीं सुना। इसलिए चित्र में भी बादल बिल्कुल शान्त मालूम पड़ते हैं। उनके गर्जने का सवाल ही नहीं उठता। बहरे आदमी ने कभी पैरों में बंधे धुंघरू की आवाज नहीं सुनी। तो घुघरू दिख सकते है और उसे जो दिखता है चूंधरू-चूंघरू ही नहीं। जो दिखता है, वह दिया है, धुंघरू तो कुछ और ही है जो घटता है वह जो दिखता है वह और है। चूंघरू सुना जाता है । और जो जो दिखता है उसमें, और जो सुना जाता है उसमें, बड़ा फर्क है । एक चीज दिखाई पड़ रही है, चूंघरू पैर में बंधे । लेकिन, जिसने कभी घंघरू नहीं सूने उसे क्या दिखाई पड़ता है ? उसे एक चीज दिखाई पड़ रही है जिसका घंघरू से कोई सम्बन्ध नहीं। वह चित्र बिल्कुल मृत है क्योंकि उस चित्र से ध्वनि का कोई अनुभव उस आदमी को नहीं हो सकता जिसने ध्वनि ही नहीं सुनी। मगर यह भी आसान है क्योंकि. कान और आँख एक ही तन को इन्द्रियां हैं। यह इतना कठिन नहीं। है तो बिल्कुल कठिन फिर भी उतना कठिन नहीं है।
... जब कोई व्यक्ति अतीन्द्रिय सत्य को जानता है तो सभी इन्द्रियां एकदम व्यर्थ हो जाती हैं और जवाब देने में असमर्थ हो जाती हैं । बोलना पड़ता है इन्द्रिय से और यह जाना गया है वह वहां जाना गया है, जहां कोई इन्द्रिय माध्यम नहीं है । एक इन्द्रिय माध्यम है जानने में तो दूसरी इन्द्रिय अभिव्यक्ति में माध्यम नहीं बन पाती। और अगर इन्द्रिय माध्यम ही न हो अनुभव की तो फिर इन्द्रिय कैसी रही ? इसलिए जो जानता है, एकदम मुश्किल में पड़ जाता है। बहुत बार तो वह मौन हो जाता है । 'मौन' भी बड़ी पीड़ा देता है क्योंकि लगता है उसे कि कहूँ, लगता है कि कह दूं। चारों तरफ वह ऐसे लोगों को देखता है जिनको भी यह हो सकता है। और बांसुओं से भरी हुई आंखें देखता है, क्लान्त चेहरा देखता है, चिन्ता भरे हुए हत्य देखता है। चारों तरफ रुग्ण, विक्षुब्ध मनुष्यों को देखता है। गौर भीतर देखता है, जहां परम आनन्द घटित हो गया है और लगता है कि उसे भी देख सकता