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महावीर : मेरी दृष्टि में चिट्ठी में । उस स्त्री की चिट्ठी को दुबारा पढ़ा तो वह उतनी सख्त नहीं मालूम पड़ी जितनी बारह घंटे पहले मालूम पड़ी थी क्योंकि अब दुबारा पढ़ी थी। और अपनी चिट्ठी पढ़ी तो लगा कि जरा सख्त उत्तर हो गया है। दूसरा उत्तर लिखा। वह पहले से ज्यादा विनम्र था। लिखते वक उसे ख्याल आया कि बाहर घंटे और रुककर देखू कि कोई फर्क पड़ता है क्या ? यह जो बारह घंटे में इतना फर्क पड़ गया तो उसने पहली चिट्ठी फाड़ कर फेंक दी, दूसरी चिठ्ठी दबा कर रख दी। सांझ को जब दफ्तर से लौटा, उस पत्र को पढ़ा। उसने कहा अभी भी उसमें कुछ बाकी रह गई है चोट । फिर पत्र तीसरा लिखा। पर उसने कहा : इतनी जल्दी भी क्या ? औरत ने मांग तो की नहीं। कल सुबह तक और प्रतीक्षा कर लें। बह सात दिन तक निरन्तर यह करता रहा । सातवें दिन उससे जो पत्र लिखा वह पहले पत्र से बिल्कुल ही उल्टा था। पहला पत्र सख्त दुश्मनी का था। सातवें दिन पत्र मैत्री का था। वह पत्र उसने भेजा। लोटती डाक से उत्तर आया। उस स्त्री ने क्षमा मांगी क्योंकि उसको भी समय गुजर गया था। अगर वह गालियां देता तो उसको क्षमा मांगने का मौका ही न मिलता। वह फिर गाली देती। डेल कार्नेगी ने लिखा है कि तब से मैंने नियम बना लिया कि किसी पत्र का उत्तर सात दिन से पहले देना ही नहीं है। उसमें होता क्या है ? समय के बीत जाने पर आपके दिमाग का पागलपन क्षीण हो जाता है। बनार्ड शा कहता था कि मैं पन्द्रह दिन के पहले किसी पत्र का उत्तर देता नहीं हूँ। यह सवाल नहीं है कि आप सात ही दिन प्रतीक्षा करेंगे। एक अन्तराल चाहिए बीच में। एक विचार का मौका चाहिए। नहीं तो हम बिना विचार के उत्तर दे रहे हैं ।
प्रश्न : किसी के साथ ऐसा चौबीस घंटे में भी हो सकता है ?
उत्तर : हो सकता है । बिल्कुल हो सकता है। उसमें सिर्फ तय यह करना है कि तत्काल उत्तर नहीं देना है। तत्काल उत्तर मूर्छा से आ सकता है ऐसा कोई जरूरी नहीं है। अगर आदमी जागृत हो तो तत्काल उत्तर मूर्छा से नहीं माता है । लेकिन चूंकि हम जागृत नहीं है, इसलिए अन्तराल का सवाल है । ___ मैं बनार्ड शा के सम्बन्ध में कह रहा था वह निरन्तर पन्द्रह दिन तक उत्तर ही नहीं देता था। पन्द्रह दिन तक उत्तर न देने पर कुछ पत्र अपना जवाब खुद ही दे देते हैं। इस तरह कुछ से छुटकारा हो जाता है। फिर बहुत कम बचते है, जिनका उत्तर देने की जरूरत पड़ती है। मेरा मतलब केवल इतना है कि हमारा कोई भी अनुभव,जितना जागरुक हो सके उतना अच्छा है। दमन का