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महावीर । मेरी दृष्टि
स्विडनबोर्ग की जिन्दगी में और ऐसी घटनाएं थीं जिनकी वजह से लोगों को मजबूर होना पड़ा कि जो वह कहता है ठीक होगा। यूरोप के एक सम्राट ने उसे अपने पर बुलाया और कहा : मेरी पत्नी मर गई है। तुम उससे संबंध स्थापित करके मुझे कहो कि वह क्या कहती है ? उसने दूसरे दिन आकर बबर दी कि तुम्हारी पत्नी कहती है कि फला-फलां अलमारी में ताला पड़ा है। चाबी उसकी खो गई है। वह तुम्हारी पत्नी के वक्त में ही खो गई थी, उसका ताला तोड़ना पड़ेगा। उसमें उसने तुम्हारे नाम एक पत्र लिखकर रखा है और उस पत्र में उसने ये-ये लिखा है। पत्नी को मरे पन्द्रह साल हो गए हैं। वह अल्मारी कभी खोली नहीं गई । बड़ा सम्राट है, बड़ा महल है । चाबी खोजी गई, चाबी नहीं मिल सकी। वह पत्नी के पास ही हुआ करती थी। फिर ताला तोड़ा गया है। निश्चित उसमें एक बंद लिफाफे में रखा हुमा पत्र मिला जो पन्द्रह साल पहले उसकी पत्नी ने लिखा था। उसे खोला गया और वही इबारत जो स्वीडनबोर्ग ने बताई थी उसमें मिली।
ये जो सम्भावनाएँ हैं मस्तिष्क के और तलों के मुक्त हो जाने की, महावीर ने इन पर अथक श्रम किया है अभिव्यक्ति के लिए। अगर देवलोक के साथ अभिव्यक्ति करनी है तो हमारे मस्तिष्क का एक विशेष हिस्सा टूट जाना चाहिए, एक द्वार खुल जाना चाहिए । वह द्वार न खुल जाए तो उस लोक तक हम कोई खबर नहीं पहुँचा सकते। जैसे मनुष्य तक खबर पहुँचानी हो तो शब्द का द्वार होना चाहिए, नहीं तो पहुँचाना मुश्किल हो जाएगा। वैसे उस लोक से मो मस्तिष्क के कुछ द्वार खुलने चाहिए। और हमें कठिनाई यह होती है कि जो हमारी सीमा है इन्द्रियों की उससे अन्यथा को स्वीकार करना मुश्किल हो जाता है। __एक मादमी पिछले दूसरे महायुद्ध में ट्रेन से गिर पड़ा बोर ट्रेन से गिरने के बाद एक अद्भुत घटना घटी जो पहले कभी नहीं घटी थी जमीन पर । ऐसे बहुत लोगों ने कहा था लेकिन उसका वैज्ञानिक विश्लेषण नहीं हो सका था। गिर जाने से उसके मस्तिष्क का एक हिस्सा; जो निष्क्रिय भाग है, सक्रिय हो गया । और उसे दिन में आकाश में तारे दिखाई पड़ने लगे। तारे लुप्त होते नहीं, वे तो रहते हैं, लेकिन सूरज के प्रकाश में ढंक जाते हैं। हमारी आंख समर्थ नहीं है उनको देखने में। लेकिन उस आदमी को दिन में तारे दिखाई पड़ने लगे। पहले लोगों ने समझा कि वह पागल हो गया है। लेकिन जो जो उसने सूचनाएं दी वे बिल्कुल सही थीं। बोर जब प्रयोगशालानों ने सिख कर