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________________ प्रश्नोत्तर-प्रवचन-- सम्यक् वर्णन से करना मा पाएगी ही। वह क्या-क्या पगी यह बिल्कुल अलग बात है। अब यह हो सकता है कि करुणा यह रूप ले कि एक बादमी की टांग सड़ रही है तो उसको काट दे। और दूसरा नादमी कहे कि तुमने टान काट दी इस आदमी की, तुम्हारी कैसी करुणा? ___ गांधी जी के आश्रम में एक बछड़ा बीमार है और वह तड़फ रहा है, परेशान है। डाक्टर कहते हैं कि बचेगा नहीं, दो-तीन दिन में वह मर जायेगा, उसको केंसर हो गया है। गांधी जी कहते हैं, उसे जहर का इन्जेक्शन दे दें। इन्जेक्शन दे दिया गया है। सारे आश्रम के लोग संदिग्ध हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यह आप क्या करते हैं ? बड़े-बड़े पंडित गांधी जी के पास इकट्ठे हुए। उन्होंने कहा कि यह तो हद हो गई। यह तो गो-हत्या हो गई। गांधी जी ने कहा कि उस गो-हत्या का पाप मैं झेल लूंगा। लेकिन इस बछड़े को कष्ट में नहीं देख सकता। अब गो-हत्या नहीं होनी चाहिए, ऐसा मानने वाला जो जड़बद्धि आदमी है वह कभी नहीं बर्दाश्त कर सकता क्योंकि उसके पास अपनी कोई दृष्टि नहीं, सिर्फ बना हुआ नियम है। लेकिन जिसके पास अपनी बनी हुई दृष्टि है, वह उसका उपयोग करेगा, चाहे वह नियम के प्रतिकूल जाती हो । लेकिन यह विशेष परिस्थिति पर ही निर्भर करता है। गांधी जी किसी अच्छे बछड़े को जहर नहीं पीला सकते। मेरा कहना है कि दृष्टि मागको होगी, परिस्थिति बाहर होगी। बछड़ा बीमार पड़ा है, कैंसर से पीडित है, आपको हर पिलाना पड़ रहा है। करुणा आपसे आ रही है। करुणा क्या रूप मेगी यह कहना कठिन है। करुणा कभी तलवार उठा सकती है, कभी तकवार का निषेष कर सकती है। मुहम्मद की तलवार पर मुहम्मद ने लिखा हुआ है कि में शांति के लिए लड़ रहा है। इस्लाम का मतलब है शांति । लेकिन मुहम्मद की परिस्थितियों में और जिन लोगों से वे घिरे हैं, तलवार के सिवाय कोई दूसरी भाषा ही नहीं है। प्रश्न : काइस्ट ने कोड़े मारे, वह करणा है ? उत्तर : बिल्कुल ही करुणा है । क्राइस्ट जब पहली दफा बदियों के बड़े त्योहार पर गए तो वह जो बड़ा मन्दिर था यहूदियों का, वहाँ सारा देश इकट्ठा होता था, देश के बड़ें ब्याजखोर इकट्ठे होते थे, व्याज पर पैसा देते थे बोर लेते थे। वह बड़ा खर्चीला त्योहार था। गरीव आरजी भी उधार लेकर रुपए खर्च करता था और वह कई जन्मों तक भी न चुका पाता उन ब्याजों को। प्याज की दूकानें मन्दिर के सामने लगी रहती। तस्तों पर लोग बैठे १७
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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