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अन्तर्वस्तु अनुक्रम सम्पादकीय (वितीय संस्करण) स्वामी योग चिन्मय - . , सम्पादकीय ( प्रथम संस्करण) में दयानन्द पाव HI-VIII १. प्रवचन :
रचना का स्रोत और उसकी प्रामाणिकता । २. प्रश्नोतर-प्रक्वन:
२९-७३ अन्तर्जीवन का विश्लेषण, इतिहास मोर पुराण में जन्तर, सत्य की सोज में शास्त्रीय माध्यम पर पळ, महावीर, पद, मासे, कायक्लेश उपवास ।
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. १-२७
जन्म, विवाह, वीतरागवा, नग्नता । ४. प्रश्नोत्तर-प्रवचन:
२७-१४२ मशरीरी नात्मानों से सम्पर्क, सग, पिरापोर पीवराम का अर्थ, जातिस्मरण, घृणा और प्रेम, तम्व के प्रति जागरूकला, पुर मौर बलाई लामा, मैथुन और अनुभूति, वीतरागता और समाज,
व्यवहारदृष्टि और निश्चयदृष्टि। १. प्रवचन :
परिग्रह मोर बपरिसह ( मोष बोर त्यान), सल की अभिव्यक्ति के उपकरण खोजने की सामना । प्रश्नोत्तर-प्रवचन :
१९९-२०४ साहस, विवेक, जागरण, करुणा का रूप, जगत् की सत्यता और
असत्यता का विचार, अनुभूति बार अभिव्यक्ति की दिशाबों में भेद । ७. प्रवचन :
२०५-२२८ , अभिव्यक्ति के उपायों की खोज। ८. प्रलोतरप्रवचन :
२२६-२०॥ बनेकान्दवार (सापेक्षतावाव), प्रायिकता का विशेष