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प्रश्नोत्तर-प्रवचन-४
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विधि साक्षी होना है तो सम्मोहन एकदम टूट जाता है, कट जाता है। अगर सम्मोहन कट जाता है तो महावीर जैसे व्यक्ति को स्त्री में कोई आकर्षण नहीं है, कोई अर्थ नहीं है लेकिन स्त्री को हो सकता है अर्थ और आकर्षण । महावीरको पिता बनने में कोई अर्थ और आकर्षण नहीं लेकिन स्त्री को हो सकता है अर्थ
और आकर्षण । और महावीर बिल्कुल-निरपेक्ष द्रष्टा ( पैसिव आनलुकर ) की तरह हैं । मैथुन से भी गुजर सकते हैं। इसमें कोई कठिनाई नहीं। एक दफा सम्मोहन (हिप्नोसिस ) टूट जाए बस तब किसी भी क्रिया से आदमी देखता हुमा गुजर सकता है। और जिस दिन मैथुन से कोई देखता हुआ गुजर जाता है, उसी दिन मैथुन से मुक्त हो जाता है। फिर मैथुन में कोई मतलब न रहा क्योंकि हिप्नोसिस पूरी तरह टूट गई है। लेकिन ऐसा व्यक्ति इन्कार करने का भी कोई कारण नहीं मानता। क्योंकि ऐसे व्यक्ति को इन्कार करने में भी कोई . अर्थ नहीं है। जैसे कि उस युवक से कहो कि तुम तकिए को चूमना चाहते हो तो वह कहेगा-नहीं ! "मैं नहीं चूमना चाहता।" क्योंकि अब शर्म मालूम पड़ती है कि तकिए को चूमूं। वह इन्कार करेगा। हो सकता है वह कसम खा ले भगवान् की कि मैं तकिए को कभी नहीं चूमूंगा। लेकिन, तकिए के प्रति उसका पागलपन जारी है। इस कसम में भी वह छिपा है। इसलिए ब्रह्मचर्य काम से छूट आना नहीं है, काम से जाग जाना है। तब हम कृष्ण जैसे व्यक्ति को भी ब्रह्मचारी कहते हैं-'ब्रह्मचर्य को उपलब्ध है वह और अद्भुत है वह ।'
प्रकृति ने, सन्तति जारी रहे इसलिए, बहुत गहरी मूर्छा डाली है । लगता हमें कठिन है लेकिन कुछ भी कठिन नहीं है; साक्षी के लिए कुछ भी कठिन नहीं है। इसलिए मैंने ऐसा कहा कि महावीर की पत्नी है लेकिन वे अविवाहित है। महावीर को पुत्री हुई है लेकिन वे निःसन्तान हैं । हमें ये दोनों बातें बड़ी सरलता से समझ में आ जाती है। स्त्री से भागता हुआ आदमी भी समझ में आ जाता है; स्त्री की तरफ भागता हुआ आदमी भी समझ में आ जाता है । स्त्री की तरफ मुंह किये समझ में आ जाता है ? स्त्री की तरफ पीठ किये समझ में आ जाता है।
कृष्ण और गोपियों को देखें। कृष्ण की उपलब्धि बहुत अद्भुत है। कितनी हजार स्त्रियां उसे घेरे हुए हैं। उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। वह एक लीला है, एक खेल है और कृष्ण पूरे वक्त जागा हुआ है। उससे कोई मतलब नहीं है । जीवन में जीना है तो दो रास्ते हैं । सोकर जियो; तो भोजन भी सोकर करोगे तुम नींद में। कपड़े भी सोए हुए पहनोगे, प्रेम भी सोए हुए करोगे, सेक्स में भी सोए हुए गुजरोगे। दूसरा एक रास्ता है-जागे हए । प्रत्येक क्रिया जागे हुए