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महावीर का जीवन मदेश
परम मगर गोमाग की प्रगमना। ग्वय गृभ सौर पावन है। उधर धनचौगत नौ बडे पेट में ममाया मा नामाजिर द्रोह। उमरा प्रतीक तो पररीतीगा ।'
जम गुबेर की उपासना गारी दुनिया में गलती है । गीनिये ण्टम बॉम्ब और योगन बॉम्ब ना पानी तैयारी करनी पड़नी है।
हम हरिजन तो . दुनिया गिी भी देश है और जाति के, पथ गे या वश . मनुष्य गा गार नीना है।
योर, जैन मन्द्रिग में गोग गौर प्रमाद, कनी ग्मोर, परकी रमाई नी नोट नहीं।। गोजन जैन-मन्दिर में गया तो उसे अहिमा की दीला मिलन गी गम्भावना अधिप। मन्दिर या मन्दिर की मूर्ति भ्रष्ट मेरी गानी" जसमाग भारत, हमारे पूज्य राष्ट्रपति और प्रधानमनी विश्व में परम भ्रमं हिमा पा प्रनार पर रहे है, ऐसे ममय में जैनियों का कर्मव्य गमा" जैन शास्त्रो का गम्मादन परना, उन पर व्याच्या और टीगा टिणणी जिग्रना, प्रानीन जैन प्रयोगा गणोधन और अध्ययन करना, यह गव अन्न। लेकिन उनने में मतोप नहीं मानना चाहिए । ममन्न दुनिया में नामने जो महान् प्राषिक, राजनैतिक, मामाजिक और वाशिक मवाल परे हुए है. उनका हन अहिमा के द्वारा, प्रेम-धर्म के द्वारा कैने हो माता है, इसके लिए गौनमी तपश्नर्या आवश्यक है, इसका चिंतन होना जम्री है । हम प्रार्थना करें कि विश्वमेवा की हमारी इम माधना में भगवान् महावीर का प्रमाद और आशीर्वाद हम सबको प्राप्त हो और हमारी अहिंसा वृत्ति मवको अपनाये।
* महावीर जयन्ती के निमित्त ता ७-४-५५ को नयी दिल्ली मे दिया गया भापण ।