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महावीर का जीवन सदेश
नही है तो सम्पत्ति का इलाज क्या ? अहिंसक-समाज रचना मे और Socialistic Pattern मे फर्क क्या है ?
गाँधीजी कहते थे कि अहिसक समाज की स्थापना अहिंसक ढग से ही होनी चाहिये। इसके मानी यह नही कि हम सामाजिक अन्याय को बर्दास्त करे और केवल अहिंसा धर्म का उपदेश करते रहे। अगर कोई हमारे घर की सम्पत्ति लूट ले जाय अथवा घर के लडके-लडकी को उठाकर ले जाय तो हम आराम से नही बैठते । अस्वस्थ होकर अन्याय का इलाज करते है । उसी तरह का कोई कारगर, अहिंसक तरीका हमे बताना चाहिये और उसे कार्यान्वित करके दिखाना चाहिये।
आहार का सवाल, लोकसख्या का सवाल, युद्ध का सवाल और सामाजिक अन्याय टालने के लिये समाज-रचना में परिवर्तन करने का सवाल, ये सारे सवाल हमारे संशोधन के विषय हो। इनका अगर हमने रास्ता बताया तो हमारा धर्म फिर से सजीवन और तेजस्वी होगा।
[ दिल्ली में एक जैन सेमिनार में दिया गया उद्घाटन-भापण ]