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त्रिवेणी समन्वय
हर माल महावीर जयन्ती आनी है और हर माल हम वही बाते करते हैं और मानते हैं कि महावीर प्रभु के प्रति हमने अपना कर्त्तव्य प्रदा किया ।
सुन्ने जब नाविन्य नष्ट हो जाता है और हम कुछ
दृष्टि या नई चीज लाने के लेकिन अब तो दस-बीस वरस
वही की ही
नत्र जब्दी के समारोह मे नई तर को बुलाया जाता है।
ऊब से जाते हैं लिए मेरे जैसे से जयन्ती के अवसर पर और पर्युपण पर्व के अवसर पर व्याख्यान देतादेता मैं भी पुराना हो गया हूँ । मैंने कई बार कहा है कि, दो ढाई हजार चर्प के पहले हिना, नयम और तपस्या का सन्देशा मनुष्य जाति के सामने रखकर भगवान् महावीर ने सिद्ध किया कि वे सच्चे अर्थ मे नास्तिक-शिरोमणि हैं । ईश्वर पर विश्वास रखना या शास्त्र पर विश्वास रखना कोई सच्ची आस्तिकता नही है । मच्ची प्रास्तिकता तो यह है कि मनुष्य के हृदय पर विश्वाम किया जाये । ग्रास्तिकता का लक्षण यह है कि मनुष्य विश्वास करे कि किसी-न-किसी दिन मनुष्य अपना स्वार्थी, ईर्ष्यालु या क्रूर स्वभाव छोडकर समस्त मानव जाति का एक विश्व कुटुम्ब स्थापित करेगा और यह कुटुम्ब भाव वढाते-वढाते भले-बुरे सव प्राणिय का उसमे अन्तर्भाव करेगा । प्राजकल के युग मे ग्रास्तिकता इस बात मे होगी कि हम विश्वाम करे कि रशिया और अमेरिका दोनो किसी-न-किसी दिन मानवता के सिद्धान्त को सर्वोपरि होना स्वीकार करेंगे । श्रास्तिकता का लक्षण है कि हम हृदय से मानें कि हिन्दू और मुसलमान भाई-भाई होकर ही रहेगे और हम माने कि पाकिस्तान की नीति भी किसी-न-किसी दिन सुधर जायेगी ।
प्राज विनोवा जो भूदान का काम कर रहे है वह आस्तिकता का काम है । उनका विश्वास है कि आज के स्वार्थी युग मे भी मनुष्य अपना सर्वस्व दे सकता है |
आज के भारत की अन्तर्राष्ट्रीय नीति आस्तिकता का सर्वोत्तम नमूना है । अविश्वास और ईर्ष्या के इम जमाने मे भारत सब-के-सब राष्ट्रो पर विश्वास रखने को तैयार है । इन सव राष्ट्रो का इतिहास और उनकी