________________
98
महावीर का जीवन संदेश नही । आज अगर मनुस्मृति मे बताया हुआ जीवन फिर से शुरू हो जाय तों समाज-सेवको को, उसकी चन्द बातो के खिलाफ लडना ही पडेगा।
धर्मपरायण धर्मप्राण व्यक्तियो को इतना तो समझ ही लेना चाहिये कि भूतकाल की विरासत अत्यन्त कीमती खाद है । उसे खाद्य समझने की भूल हम न करें। अपने पुरुषार्थ से अन्न की नई-नई फसल हर साल पैदा करके उसी अन्न को हम खावे, खाद को नही । हम भूतपरस्त न बने । भविष्य के और सर्जक बनने के लिए हमारा जन्म है और हमारा धर्म भी आवाहक दिन-पर-दिन व्यापक, गहरा और उज्ज्वल बनने वाला है।
३१-१२-१९५७