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पशु अवला नियंत शूद्र नक वाही से हमे युनाले थे।
उनके जीवन के क्षण जगा भी वत्सर लम बनत जाते थे। -
तेरे स्वागत के लियं उदय पिघलाकर 'थु बनाने में ।
__ याखाँसे अश्रु चढ़ाते थे प्राव पथ पंच कि नने जब दीन पुकार सुनी नवम्ब छोद दादा श्राया। रोगोने सचा वद्य दोनने मानो चिन्तामणि पाया ॥
तु, गर्ज उठा अत्याचारों को ललकारा, सय चोय पाई।
___ सब गंज उठा जन्मांड न रहने पाय हि पशुओंका तू गोपाल बना पाया नयने निज मनभाया । तूने फैलाया हाथ सभीपर हुई शान्त शांतन आया ।
फहरादी हुने विजय वैजयनी भगवती प्रतिमा '
हिंसाकी हिंसा हुई महारः सा नी सारे दुर्घन्धन तोड़फोड़ दुष्कर्मकांड सब नष्ट किया । भगवान सत्यके विद्रोहागण को तुने पदनाम किया । भगवती अहिंसर का कंटा घरने हाथों में ए..
त उनका बेटा बना विध तय नरे नाम में टांगी स्वार्थी तो धर्म गया, हा धर्म गया' या विने। तेजस्वी रबिके लिये कहे सुवचन पून मनमाने । लेकिन तूने पाहन को लोगों का नाम ।
सदसद्विवेक का मंत्र दिया नगमान 'तू महावीर था बद्ध मान पा र सुधारक. का का
तु सर्वधर्मसमभाव विधांका परम प्रगम ॥ भगवान सल्ला घेटा या सादा गाने पर : 1
तेरे पदचिना मिले गुना पान में
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