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' महावीर का मन्तस्तल
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. पप- पन्द्रह अहोरात्र का।: . .. .. मास-दो पस्य का।। - .. ऋतु-दो मास की ,
... अयन-छः मासका।' ....... वर्ष-दो अयन का। '. पूर्वाग-चौरासी लाख वर्षों का।
पूर्व-चौरासी लाख पूर्वागों का।
इस प्रकार अत्तरोत्तर चौरासी लाख चोरासी लाख गुणित होते हुए. बुटितांग, त्रुटित, अडडांग, अडड, अववांव, अवय, हूहूकांग, हृहूक, उत्एलांग, उत्पल, नालेनांग, नलिन, निकु रांग, निकुर, अयुतांग, अयुत, प्रयुक्तांगं प्रयुत, नयुतांग, नयुत, चूलिकांग, चूलिका, पहेलिकांग, प्रहेलिका
इसप्रकार कालगणना है इसके बाद उपमा से असंख्य वर्षों के पल्प और उससे बड़े सागर का परिमाण बताया। . .
- इसके बाद परमाणु या प्रदेश से लेकर शेजन तक क्षेत्र का भी माप बताया।
यद्यपि तीर्थकर का कार्य धर्म का सन्देश देना है और इसी विषय का वह सर्वज्ञ होता है, पर धर्म जीवन के हर कार्य में व्यापक है इसलिये अप्रत्यक्ष रूप में बहुत से विषयों के साथ झुसका सम्बन्ध आजाता है इसलिये तीर्थकर को अन्य विषयों पर भी अपना सन्देश देना पड़ता है। अपने शिष्यों को बहुत वनाना मी आवश्यक है।
... . . ... ७९-कठोर अनुशासन , १ धामा ९४४८ इतिहास संवत् ..
गतवर्ष राजगृह में सोलहवां चानुमास पूरा कर मैंने