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महावीर का अन्तस्तल
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संघ की आवश्यकता क्या है ?
मैं दो कारणों से इसकी आवश्यकता है । पहिला कारण यह हैं कि अभी गृहस्थावस्था में ऐसा वातावरण नहीं मिल सकता जिससे सरलता से निर्मोह बनकर रहा जासके । जीवन संग्राम अभी जटिल है, उसकी चोटों से अधिक प्राणी मोही या रागद्वेषी होजाते हैं इसलिये उनकी जीवनचर्या और वातावरण बदलने की आवश्यकता है जिससे वे जीवन शुद्धि की साधता कर सकें। दूसरा कारण यह है कि मनुष्य के जीवन में और समाज में जो क्रांतिकारी परिवर्तन करना है उसके प्रचार के लिये एक ज्ञानी संस्था की जरूरत है, जिसका जनता पर प्रभाव पड़ सके, जिसके सदस्य अधिक से अधिक स्थानों पर पहुँच सकें सदा भ्रमणशील रह सके । गृहस्थ वह कार्य नहीं कर सकता, सन्तान के पालन पोषण तथा भविष्य के लिये उसे समर्थ बनाने में उसकी शक्ति केन्द्रित होजाती है । सर्वसंगत्यागी साधुसंस्था हो यह कार्य कर सकती है । इन दो कारणों से साधु साध्वी संघ की आवश्यकता है । तुम्हीं सोचो, अगर तुम साधु न बने होते तो जो सम्यकत्व चारित्र का प्रचार तुम आज कर रहे हो वह क्या कर सके होते ? पुरानी रूढ़ियों का जाल तोड़ना और वातावरण को बदलना क्या सम्भव था ? जीविका की समस्या ही सागे सचाई खाजाती । साधु रहन से जीविका अब तुम्हें नचा नहीं सकती, तुम्हारे विचारों पर और प्रचार पर प्रत्यक्ष अप्र त्यक्ष कोई अकुंश नहीं डाल सकती । भ्रामरी वृत्ति से तुम कहीं भी गुजर कर सकते हो। किसी व्यक्ति विशेष जाति विशेष या दल विशेष का मुँह ताकने की तुम्हें जरूरत नहीं है । और न इससे तुम्हारे गौरव को धक्का लगता है। गृहस्थ इतना निर्भय, इतना निश्चित, इतना गांग्वशाली साधारणतः नहीं होता, इसलिये आजकल राजमार्ग यही है कि जगत की सेवा के लिये
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