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महावीर का अन्तस्तल
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बहाने भी ब्राह्मणों के द्वारा श्रमणों का दमन होता है । वैश्य दोनों : के पुजारी है। व स्वर्ग की कामना से ब्राह्मणों की पूजा भी करते हैं और श्रमण के आशीर्वाद में धन तथा सन्तान में वृद्धि की आशा कर श्रमण की भो भात करते हैं ।
. वंश्यों को श्रमण भक्ति का एक लाभ यह भी है कि उनके बारे में शुई का आदर बढ़ जाता है, क्योंकि शूद प्रायः श्रमण-. भक्त है। श्रमग लोग शूदों के सामाजिक आधेकार बढ़ाने का प्रयत्न भी करते हैं। हम श्रमण ब्राह्मण संघर्ष का परिणाम यह हुआ है कि कहीं कहीं श्रमणों को निष्कारण ही सताया जाता है, . नानक तनिक सी बात में अपमान किया जाता है उनकी हँसी. उड़ाई जाती है। .
आज लांगलगांव में आया । यहां एक लांगली का . मन्दिर है उसी में ठहग । यहां बहुत से बालक खेल रहे थे। हम . दानों को देखते. ही बालक हमारी हँसी उड़ाने लगे, तालियों पीट पीट पीटकर चिढ़ाने लगे। निःसन्देह इनके मां वाप-श्रमण विरोधी हैं उन्ही के संस्कार बालकों पर पड़े हैं। गोशाल को यह सहन नं हुआ उसन बालकों को खूब डराया धमकाया। बालक डर कर भागे और अपने बापों को लेआये । उनले पहिले तो गोशाल को मारा, पर गोगाल पिट पिटर भी उनकी निन्दा करतारहा, तब उनने मुझे भी माग । पर मैं बिलकुल मौन और निश्चेष्ट रहा, इससे उनने मुझे कोई शक्तिशाली योगी समझा, तव क्षमा मांग.. कर चले गये। ....... ... ... ... ... . -: श्रमणों को अपनी तपस्या और सहिष्णुता से ही जनता के मन को जीतना है। मैं तो इस मार्ग में अधिक से अधिक आगे .. घदना चाता है। इससे वातावरण श्रमणों के अनुकूल होगा,. श्रमणों की महिमा. बढ़ेगी तब सामाजिक क्रांति का मार्ग सरल होगा। . . .. :
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