________________
महावीर का अन्तस्तल
anoharaananane.varNv.
मैं रास्ते के किनारे बैठगया । युवतियाँ भी मेरे चारों तरफ खड़ी होगई और आपस में कुछ इंगित करने लगी । इतने में मैंने झटका देकर बालों का एक गुच्छा सिर से निकाला और फेंक दिया। .
मेरी यह चेष्टा देखकर वे घबराई और भाग गई । 'मन निश्चय कर लिया कि अब सिर में एक भी बाल न रहने दूंगा। धीरे धीरे मैंने सारे सिर का लौंच कर लिया। जव में लांच कर चुका तब व युवतियां एक जनसमूह के साथ फिर आई । संघ हाथ जोड़कर क्षमा मांगने लगी । पर मैंने एक भी शब्द मुंह से नहीं कहा और वहां से उठकर चला आआ।
मेरे आने के बाद उन लोगों ने मेरे बाल वीनलिये और एक निधिकी तरह सबने बांट लिये।
मझे इससे क्या तात्पर्य ? वे चाहे उन्हें जलायें चाहे एजा करें, चाहे उनसे काम-याचना करें । अब में विश्वास करता हूं कि वे अब मुझे छेड़ने का लालच न करेंगी।
मुझे सम्भवतः ऐसे बहुत से नियम बनाना पड़ेंगे जो साधुता की दृष्टिसे अनिवार्य भले ही न कहे जांय पर आज की उपयोगिता की दृष्टि से जिन्हें पर्याप्त स्थान देना होगा।
केशलाँच के बाद फिर में भिक्षा लेने नहीं गया। रुचि भी नहीं रही थी और लोकाचार की दृष्टिसे भी केशलोंच के बाद भिक्षा लेना ठीक नहीं मालूम हुआ।
२२-- अदर्शन विजय : . ११ वुधी ६४३२ इतिहास संवत
घर छोड़े करीब चार माह होगये, इन चार मासों में इतने कठोर अनुभव हुए जितने पहिले जीवनभर नहीं हुए थे ।